भालोटिया स्थित ड्रग विभाग की प्राइवेट दुकान
दुकानदार – दवा की दुकान खोलनी है साहब । लाइसेंस कैसे बनेगा ?
ड्रग विभाग – फुटकर दवा की दुकान खोलनी है तो पचास हजार की व्यवस्था करो । काम हो जाएगा !
क्या कहा ?
फार्मासिस्ट नही है ..
तो साठ हजार की व्यवस्था और करो, फार्मासिस्ट की डिग्री भी हम ही लगा देंगे । भले फार्मासिस्ट अब इस दुनिया या इस राज्य में न हो तुम टेंशन मत लो ।
दुकानदार – कंप्यूटर, फ्रिज और मानक के अनुसार जगह भी नही नही है । कोई स्थलीय निरीक्षण में आ गया तो ?
ड्रग विभाग – पेमेंट एडवांस में जमा कर दो , दस दिन में लाइसेंस मिल जाएगा । मेरे बेटे के पास जाकर पेमेंट जमा कर दो । और हां थोक दवा की दुकान खोलनी हो तो एक लाख में काम हो जाएगा । कोई कस्टमर हो तो बताना ।
दस दिन बाद …
दुकानदार – बहुत बहुत धन्यवाद साहब। लाइसेंस तो मिल गया । दुकान की आड़ में क्लिनिक भी फर्राटे से चला ले रहा हूँ। हाइड्रोसिल बवासीर भगंदर तो खटिया पर लालटेन की रोशनी में ही चीर देता हूँ । लेकिन मेरे लाइसेंस में जिस फार्मासिस्ट की डिग्री लगी है वो तो दिल्ली में रहती है । कभी कोई जाँच हो गयी तो ?
ड्रग विभाग – अरे जाँच में आएंगे तो हम ही न । अगर साहब साथ मे आएंगे भी तो दस बीस हजार में सब मैनेज हो जाएगा । अरे हमे चपरासी समझ रहे हो क्या ? अरे हम ड्रग विभाग के बाप हैं । सारा दो नम्बरी माल हमहि से होकर ऊपर तक पहुँचता है । जो भी अधिकारी यहाँ आएगा हमारे हिसाब से ही चलेगा । तुम नाहक परेशान हो रहे हो । हमने तो लोगों के घर मे भी दवा की दुकान और गोदाम खुलवा रखे हैं । कोई दिक्कत हो तो मेरे दलाल से मिल लेना । लोग राय साहब कहकर बुलाते है उसको । दवाई बेचने का धंधा करता है । उसकी दवाईयां भले घटिया टाइप की है लेकिन आज तक कोई खाकर मरा नही है । जब मरेगा तो देखा जाएगा । अरे इतनी बार दवाईयां पकड़ी गई । टीका लगने से तीन तीन बच्चे मर गए ! कुछ हुआ आज तक ? नही न ! जाओ तुम भी मरीजों से प्राण पखेरू वाला खेल खेलो । जब प्राण और पखेरू दोनो उड़ जाए तब बताना !
सौजन्य से : ड्रग माफिया विभाग गोरखपुर
हाल ही मे ड्रग विभाग गोरखपुर द्वारा जारी किया गया लाइसेंस ! विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस लाइसेंस में नामित फार्मासिस्ट पर्मानेंटली दिल्ली में निवास करती है जबकि इसे गोरखपुर में इस दवा दुकान पर कार्यरत दिखाया गया है ।