गोरखपुर में बड़े अखबारों के पत्रकारों,सम्पादकों पर दर्ज केस दुरूह साजिशों का नतीजा है !

गोरखपुर : वस्तुतः मैं आपराधिक मामलों की ही वकालत करता हूँ, यह बात सत्य है कि अपने अधिवक्ता जीवन मे बतौर अधिवक्ता मेरा सामना तमाम तरह के मुकदमों से हुआ है । परंतु गोरखपुर दैनिक जागरण तथा अमर उजाला के कुछ पत्रकारों सम्पादकों व अन्य के खिलाफ कोर्ट में दो दिन पहले जो केस दर्ज हुआ है, उस केस में पत्रावली के साथ संलग्न ऑडियो वीडियो तथा कॉल रिकॉर्डिंग पत्रकार सत्येंद्र के खिलाफ की गई गहरी साजिशों की तरफ स्पष्ट इशारा करते हैं । मैंने अब तक सभी कॉल रिकॉर्डिंग्स तथा वीडियो को तो नही देखा और सुना है । परंतु जिन कॉल रिकॉर्डिंग्स को मैंने सुना है, वह रिकॉर्डिंग्स यही बताती हैं कि इस मामले में पत्रकार सत्येंद्र के खिलाफ साजिशों की जड़ें काफी गहरी रही हैं ।कॉल रिकॉर्डिंग्स में तो साजिश करने वालों ने अधिकारी से लेकर मीडिया जगत के तमाम लोगों के नाम लिए हैं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि पत्रकार सत्येंद्र के विषय में सबको अंधेरे में रखते हुए अधिकारियों व जिम्मेदारों के पदीय शक्तियों का इस्तेमाल सत्येंद्र के खिलाफ करने की भरपूर कोशिश की गई । अब तक मैंने शायद ही ऐसा कोई केस अपने अधिवक्ता कैरियर में फेस किया है जिसके सबूत चिल्ला चिल्ला कर पत्रकार सत्येंद्र के खिलाफ की गई साजिशों की गवाही दे रहे हों । हालांकि माननीय न्यायालय के सामने रखे गए इन ऑडियो वीडियो में किस किस की आवाज है और किन किन लोगों के तार सत्येंद्र के खिलाफ की गई इन साजिशों से जुड़े थे, अब यह तय करना तो न्यायालय का काम है । फ़िलहाल माननीय न्यायालय ने मामले का संज्ञान ले लिया है।

पत्रकार सत्येंद्र की तमाम खबरों को देखने पढ़ने से यह साफ पता चलता है कि सत्येंद्र की खबरें सत्ता या सरकार विरोधी न होकर सिस्टम विरोधी होती हैं । मामले को देखने समझने तथा साक्ष्यों के अवलोकन व फोन रिकॉर्डिंग को सुनने से यह भी पता चलता है कि पहले पत्रकार सत्येन्द्र को मैनेज करने की भरपूर कोशिशें की गई और जब इसमें सफलता नहीं मिली तब साजिशों का लंबा दौर चला। पत्रकार सत्येंद्र ने इन साजिशों की कभी परवाह नही की और शायद यही कारण रहा कि अभी कुछ महीनों पहले उनका करियर खत्म करने के इरादे से पहले फर्जी मुकदमे में उनका नाम खोलकर उन्हें जेल भेजा गया और उसके बाद प्रिंट मीडिया ने सत्येंद्र के खिलाफ सच्चाई से अवगत हुए भी बेसिर पैर की खबरों का प्रकाशन लगातार लगभग डेढ़ महीने तक किया , जिसका नतीजा मुकदमे के तौर पर आज सबके सामने है । इस पूरे मामले में सबसे दिलचस्प बात यह पता चली है कि दैनिक जागरण और अमर उजाला गोरखपुर में पत्रकार सत्येंद्र प्रकरण से संबंधित प्रकाशित खबरों को गोरखपुर पुलिस का हवाला देते हुए छापा गया था, जबकि गोरखपुर पुलिस ने अपने लिखित जवाब में यह स्पष्ट किया है कि उनकी तरफ से सत्येंद्र कुमार के प्रकरण पर कभी भी कोई प्रेस नोट जारी नही किया गया।

लेखक : संजय कुमार यादव, सिविल कोर्ट गोरखपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं !

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