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15 दिनों में पेन्डिंग फ़ाइल निपटाने का आदेश था….फ़ाइल को ही निपटा दिया !

सी एम योगी आदित्यनाथ ने सभी नौकरशाहों को चेताते हुए दो टूक कह दिया था कि कोई भी फ़ाइल टेबल पर पंद्रह दिन से ज्यादा लंबित नही रहनी चाहिए । सी एम साहब के आदेश का ऐसा सटीक अनुपालन उनके गृह जनपद में हो रहा है कि यहाँ लंबित फ़ाइल को निपटाने की बजाय फ़ाइल को ही निपटा दिया जा रहा है मतलब गायब कर दिया जा रहा है । लगभग एक वर्ष पूर्व जाँच की आँच के संरक्षक जमशेद जिद्दी ने मंडलायुक्त गोरखपुर को पत्र लिखकर सी.एम.ओ. कार्यालय गोरखपुर के नोडल अधिकारी ए. के. सिंह तथा लिपिक एस.एन. शुक्ला पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पत्र लिखा था कि इनके द्वारा गोरखपुर में मानव जीवन के लिए खतरा बन चुके उन तमाम अस्पतालो तथा अल्ट्रासाउंड मशीनों को अनुचित लाभ लेकर खोल दिया गया जिन्हें मजिस्ट्रेट द्वारा सील किया गया था ।

इस मामले में मंडलायुक्त गोरखपुर द्वारा सम्बंधित से जाँच कर पंद्रह दिनों में रिपोर्ट माँगी गयी थी । जाँच डी एम के निर्देश पर सिटी मजिस्ट्रेट गोरखपुर को सौंपी गई थी । बताया जा रहा है कि पंद्रह दिन में तो नही लेकिन साल भर में उस मामले में अंतिम बहस पूरी कर फ़ाइल को फैसले के लिए रिज़र्व कर लिया गया था । उस वक्त के तत्कालीन मजिस्ट्रेट साहब को ए.डी.एम. सिटी बने और नए सिटी मजिस्ट्रेट साहब को पद भार ग्रहण किये महीनों बीत चुके हैं लेकिन दोनो जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि अब वह फ़ाइल उनके पास नही है । इस बाबत सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाबू का कहना है कि फ़ाइल तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट साहब अपने घर ले गए थे । दूसरी तरफ शिकायतकर्ता का कहना है कि जनसूचना के तहत सूचना मांगे जाने तथा पत्रवाली की फ़ोटो कॉपी या नकल मांगे जाने के बावजूद भी पत्रवाली से संबंधित किसी चीज का कोई पता नही चल पा रहा है और न कोई सूचना दी जा रही है । शिकायतकर्ता ने सम्पूर्ण प्रकरण को विस्तार से लिखते हुए मंडलायुक्त गोरखपुर से फ़ाइल के खोजबीन करवाये जाने की याचना की है साथ ही इस मामले में शिकायतकर्ता जमशेद का कहना है कि यदि फ़ाइल नही मिलती है तो वो हाइकोर्ट का रूख करेंगे । मतलब फ़ाइल के गायब होने पर आरोपियों को फुरसत नही मिलेगी बल्कि उनकी जहमत और बढ़ जाएगी ।

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