राजनैतिक गलियारे में सूत्रों के हवाले से सुगबुगाहट है कि पूर्वांचल में गन्ना मूल्य एवं किसान हितों के लिए संघर्ष कर सदन के गलियारे में पहुंचने वाले पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह की सपा से नाराजगी फिजाओं में तैरने लगी है।निर्दल विधायक के रूप में राजनीतिक यात्रा आरम्भ करने वाले राधेश्याम सिंह ने कुछ मुद्दों पर सहमति के आधार पर सपा का दामन थाम लिया । सपा के बैनर तले कुशीनगर जिले में रामकोला खड्डा हाटा विधानसभा क्षेत्रो से कई बार विधायक रह चुके राधेश्याम सिंह की सपा नेतृत्व से अदावत पुरानी है, कई बार विधायक होकर भी मंत्री पद न मिलने पर बागी हुए राधेश्याम सिंह को किसान मजदूर वर्ग में प्रतिनिधित्व खोने के डर से सपा नेतृत्व ने मंत्री पद देकर मनाया। हाल ही में लगभग साल भर से राधेश्याम सिंह सपा मुखिया के कहने पर देवरिया लोकसभा चुनाव की तैयारी में सक्रिय हो गए थे, लेकिन सपा ने यह सीट समझौते में कांग्रेस को दे दी ।अल्पसंख्यक, पिछड़े, कृषि प्रधान मतदाताओं में खासी पकड़ रखने वाले राधेश्याम सिंह सपा नेतृत्व के इस फैसले से बहुत खफा हैं ।इनके साथ कुशीनगर जनपद में सपा के चेयरमैन और ब्लॉक प्रमुख भी अगले कदम की प्रतीक्षा में हैं।
पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने राधेश्याम सिंह को साधना चाहा था, किन्तु सफलता नही मिल पाई थी। देवरिया लोकसभा की सीट समझौते में कांग्रेस को दिए जाने की नाराजगी राधेश्याम सिंह सपा नेतृत्व से खुलकर जाहिर कर चुके हैं,और अखिलेश यादव को संबोधित अपनी राजनीतिक यात्रा का वृतांत सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया है। सपा के अंदर खाने चल रहे इस युद्ध के बीच भाजपा नेतृत्व ने अपने संपर्क सूत्रों को सक्रिय कर दिया है।भाजपा नेतृत्व ने राधेश्याम सिंह से सम्पर्क स्थापित करने की पहल शुरु कर दिया है।
पूर्वांचल में किसान नेता के नाम से विख्यात प्रभावशाली जनाधार वाले नेता माने जाने वाले राधेश्याम सिंह यदि भाजपा की ओर रुख करते हैं तो यह भाजपा की बड़ी जीत होगी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी के साथ हुए समझौते और पूर्वांचल में राधेश्याम सिंह को ज्वाइन कराकर भाजपा नेतृत्व किसान मतदाताओं को बड़ा संदेश दे सकता है।राधेश्याम सिंह के भाजपा में जाने के साथ पूर्वांचल में विपक्ष का सफाया हो जाएगा। फिलहाल राधेश्याम सिंह की तरफ से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नही हुई है।