प्रधान लैट्रिन घर खा जाते हैं, अफसर भूसा खा जाते हैं, चूहे शराब पी जाते हैं, फ़ाइलें दीमक खा जा जाते हैं, मलतब ग़जबे चल रहा देश में ! बड़के पत्रकारों की पत्रकारिता को लेकर तो ये भी नहीं कहा जा सकता कि फलाना बचा हुआ है क्योंकि जिसको देखो उसके मुंह में सरकारी बिस्कुट फंसे हुए हैं और पत्रकारिता का संगठन चलाने वालों के तो मुंह के अलावा भी कई जगह फंसे हुए हैं । जिस तरह एक औरत की सबसे बड़ी दुश्मन एक औरत ही होती है ठीक उसी तरह मीडिया जगत में एक पत्रकार का सबसे बड़ा दुश्मन एक पत्रकार ही होता है ।
हुआ यूँ कि गोरखपुर के चौरीचौरा में कच्ची शराब बिकने का वीडियो एक पत्रकार ने शूट कर लिया । वीडियो में दिखाई दे रहे पियक्कड़ों ने बोल दिया कि क्षेत्र के जायसवाल जी ही कच्ची शराब बिकवा रहे हैं जो पत्रकार भी हैं ।बाकायदा उनकी गाड़ी की तरफ इशारा भी कर दिया । बस होना क्या था और हो गया बवाला ! पियक्कड़ई ने वो भेद खोल दिए जो बड़े पत्रकार लोग आज तक नही खोल पाए । पता चला कि कच्ची बिकवाने वाले जायसवाल जी किसी पत्रकार संगठन के सदस्य भी हैं और बकायदे अपनी फोटू खिंचवा के फेसबुक पर चस्पा भी किये हुए हैं । कच्ची शराब बिकने में पुलिस का हाथ बताकर पुलिस की अक्सर लानत मलानत करने वाले पत्रकारों को यह वीडियो इतना नागवार गुजरा कि तमाम यूट्यूबरों को पत्रकारिता की तौहीन करार देते हुए एक ज्ञापन अफ़सर महोदय को चेंप आये । उसके बाद वीडियो वायरल करने वाले पत्रकार की मुश्कें कसने और उसे पत्रकारिता का पैमाना समझाने के लिए खाकी का सहारा लेने की कोशिश की गई लेकिन ख़ाकी की खुशी का तो ठिकाना ही नही था । ख़ाकी तो ये सोचकर खुश थी कि या अल्लाह कितनी बड़ी रहमत कर दी तूने ? कच्ची बिकवाने में अब हम अकेले नही हैं, हमे तो अब तक पता ही नही था कि इस धंधे में अपना कोई पार्टनर भी है । धंधे में साला वाकई में कॉम्पिटिशन बहुत बढ़ गया है इसलिए अब जो भी करेंगे खाकी और कलम मिल कर करेंगे, कदम से कदम मिलाकर चलेंगे तभी समाज मे जागरूकता आएगी । ठोको सल्यूट !