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न्यायपीठ के देवताओं की जय हो !


सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 22 जनवरी 2024 को जहाँ एक तरफ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पूरा देश आनंदित था वहीं दूसरी तरफ इसी दिन न्यायपीठ के देवताओं ने एक न्याय और कर मन को प्रफुल्लित कर दिया । अपने निर्णय से सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ जीवट पत्रकार सत्येन्द्र का मान ही पूरे देश मे नही बढ़ाया बल्कि तमाम उन पत्रकारों को भी उम्मीद की वो किरण दे दी ,जो अपनी ईमानदार पत्रकारिता की वजह से प्रशासनिक संत्राण भोग रहे हैं ।

हेमंत पांडेय, शिव सेना (शिंदे गुट)

धन्य हैं वे अधिवक्ता भी जो पैसा बोलता है के इस जमाने मे भी न्याय के लिए बगैर फीस लिए लड़े । जिस पत्रकार को गोरखपुर का ढीठ प्रशासन और बेशर्म मीडिया बगैर सबूत दोषी ठहराता रहा उस पत्रकार की सच्चाई और मामले पर सबूतों की रोशनी में गौर करने वाली न्यायपीठ और न्यायपीठ के सामने खड़े अधिवक्ता व्योम और मयूरी धन्य हैं । आज स्वर्गीय आईपीएस विजय शंकर जी भी स्वर्ग से सत्येन्द्र को इस शानदार जीत की बधाई दे रहे होंगे और अपने बेटे बहू पर गर्व महसूस कर रहे होंगे ।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय देश मे सर्वव्यापी तथा सर्वमान्य है ये तो सभी जानते हैं परंतु शायद बहुत कम लोग जानते हैं कि साल भर से अपनी बीमार पत्नी को छोड़कर इस लंबी लड़ाई को लड़ने वाले सत्येन्द्र को तोड़ने की हर अमानवीय कोशिशें हुई । धमकियाँ मिलना, टक्कर मारकर घायल कर देने से लेकर जेल भेजने के बाद एक के बाद एक ताबड़तोड़ मुकदमे लिखकर गैंगेस्टर हिस्ट्रीशीटर बना देने जैसे वीभत्स संत्राण सत्येन्द्र ने बीते साल के दौरान भोगा है । बात यहीं खत्म होती तो ठीक थी लेकिन बात आगे बढ़ती गयी और घर पर कुर्की का नोटिस भी चस्पा कर दी गयी साथ ही घर का बिजली पानी सब पूरी तरह से बन्द कर दिया गया लेकिन आखिरकार सत्येन्द्र के “सत्यमेव जयते” वाली विचारधारा की ही जीत हुई ।

सत्येन्द्र को जहाँ तक मैं जानता हूँ उस भरोसे मैं यह अनुमान लगा सकता हूँ कि तनाव और प्रताड़ना के बीते एक साल में भी सत्येन्द्र ने भ्रष्टाचार के खुलासे पर कोई न कोई नया काम जरूर किया होगा जो हमे जल्द देखने को मिल सकता । सबसे ज्यादा ताज्जुब तो मुझे गोरखपुर के उन होनहार पत्रकारों पर होता है जो सत्येन्द्र के खिलाफ पड़ जाने वाली एक दरखास्त को भी अपने अखबार में मस्त न्यूज़ बनाकर छापते हैं लेकिन सत्येन्द्र पर सुप्रीम कोर्ट जैसा बड़ा सर्वव्यापी और सर्वमान्य निर्णय छापने में इन्हें शर्म आ जाती है । शर्म आनी भी चाहिए क्योंकि शर्म आएगी तभी आपमें सुधार आने की संभावनाएं बनी रहेंगी ।

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