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जब पूरा सिस्टम ही अन्याय और अन्यायी को इस्टैबलिश करने में जुटा हो तो एक अकेला इनसे लड़ते हुए अति शीघ्र किताबी लोकतंत्र और असली नरकतंत्र के परम ज्ञान को हासिल कर लेता है । मुझे अक्सर लगता है और अब मैं दृढ़ता से मानने लगा हूं कि जिस सड़ चुके सिस्टम की सड़ांध दूर करने की झूठी शपथ खाकर ब्यूरोक्रेट्स आते हैं, कुछ समय बाद उसी सिस्टम के साथ मिलकर उसी सड़ चुके सिस्टम का खुद ही एक हिस्सा बनकर जाते हैं । व्यवस्था के खिलाफ लड़ने वाला कोई कीड़ा न भारतीयों के डी.एन.ए. में बचा है और न ही ब्यूरोक्रेसी में । भ्रष्ट व्यवस्था के आगे नतमस्तक रहने वाले ये वे लोग हैं जो दास मानसिकता के गुलाम हैं । इसी गुलाम मानसिकता का उदाहरण है ।
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कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए जांबाज आईपीएस अधिकारी जुगल किशोर तिवारी का सस्पेंड किया जाना । इनका निलबंन बताता है कि चाटुकारिता करने वाले और अपनी जीभ से जूता चमकाने वाले लोगों की मुख्यालय पर भी जबरदस्त की पैठ हैं । जहाँ तक मैं जुगल किशोर जी को व्यक्तिगत तौर पर जानता हूँ उस आधार पर यह कह सकता हूँ कि वो एक बेबाक जाँबाज और बेदाग अधिकारी रहे हैं । आज जहाँ एक तरफ भ्रष्टाचारियों के बीच भ्रष्टाचार के पायदान पर काबिज होने की जबरदस्त होड़ मची हुई है वहीं दूसरी तरफ ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी हाशिये पर धकेले जा रहे हैं । निलंबित किये गए आईपीएस जुगल किशोर वही हैं जिन्होंने चित्रकूट के बीहड़ जंगलों से डांकुओ का साम्राज्य उखाड़ फेंका और दुर्दांत डाकुओं का इनकाउंटर करते हुए चित्रकूट को डांकुओं से भयमुक्त किया । योगी सरकार में आज अतीक अहमद पर कार्यवाही कर अपनी पीठ थपथपाने वाले वर्दीधारी यह भूल गए कि जिस समय योगी सरकार नही थी उस वक्त अतीक अहमद जैसे दुर्दांत माफिया के घर पर इसी जाबांज आईपीएस ने बुलडोजर चलवाने की हिम्मत दिखाई थी । एक वक्त था जब बढ़ते क्राइम ग्राफ की वजह से बहराइच पुलिस को आम जन हेय दृष्टि से देखने लगी थी । यहाँ पर भी इस आईपीएस ने सिर्फ क्राइम ग्राफ ही कम नही किए बल्कि बहराइच में शिक्षा आदि क्षेत्र में अपना योगदान देते हुए पुलिस पर जनता का विश्वास बढ़ाया । मैं कहना चाहता हूँ उन चंद मुठ्ठी भर जाँबाज और ईमानदार ब्यूरो क्रेट्स से कि आप भी खाइये पीजिये मौज करिये और इस परम सुतीये सिस्टम का हिस्सा बनकर लोगों को परम सुतिया बनाते रहिये । घपले घपाले कीजिये, अत्याचारी बनिये, चाटुकारिता कीजिये और अपनी जीभ से जूते चमकाईये उन फरमाबरदारों के जो आपको लाये ही इसी काम के लिए हैं । आपके ज्ञान कौशल और जाबांजी की अब कोई आवश्यकता नही है इस सड़ चुके सिस्टम को । सोचिये कि आखिर क्या हासिल हुआ, निष्ठापूर्वक काम करने वाले आईपीएस अमिताभ ठाकुर, संजीव भट्ट, विजय शंकर सिंह और जुगल किशोर तिवारी को ?