खबर है कि संसद कवर करने वाले पत्रकारों के लिए तैयार किये गए खास पिंजरे में मीडिया वालों को रख दिया गया है । पहले ये ससुरे यहां-वहां उड़ते रहते थे, सांसदों से बात करते थे, अब बस दूर से ही टुकुर-टुकुर ताकेंगे । सरकार का अच्छा कदम है मीडिया को कैद करना ही होगा । बहुत सराहनीय कदम है कि चौथे स्तंभ पर पहरा लगाते हुए मीडिया का संसद में प्रवेश वर्जित कर दिया गया है । अब इसी खोमचे ( पिंजरे) से बैठ कर ताड़ो आने जाने वालों को, क्योंकि देश, लोकतंत्र और अपने कर्तव्य से गद्दारी करने वालों को यही सजा मिलनी चाहिए ।
लेकिन ताज्जुब है कि जिस मीडिया ने राहुल गांधी के खिलाफ “पप्पू” अभियान चला रखा था वही पप्पू आज पिंजरे में बंद मीडिया वालों से सबसे पहले मिलने पहुँचा और सदन के अंदर स्पीकर साहब से कहा कि ….”मीडिया वालों को पिंजरे में बंद कर दिया गया है, बेचारे मीडिया वालों को बाहर निकाल दीजिए।”
स्पीकर साहब बोले: मीडिया वाले बेचारे नहीं हैं
तो राहुल गांधी ने कहा कि
तो फिर “Not बेचारे” मीडिया वालों को बाहर निकाल दीजिए !
पिंजरे में बंद पत्रकारों से मिलने अखिलेश यादव भी पहुँचे । उन्होंने कहा भले ही आप मीडिया के लोग हमारे खिलाफ बोलते रहिए, लेकिन मैं सदन में आपके लिए बोलूंगा । यदि कायदे से देखा जाए तो कांग्रेस और भाजपा की सरकारों ने मिलकर भारतीय मीडिया का दुर्गति कर दिया है। 2002 में पूरे विश्व में भारतीय मीडिया की रैंकिंग 80 थी और उस समय भाजपा की सरकार थी । 2002 से लेकर 2013 तक भारतीय मीडिया की पूरे विश्व में रैंकिंग 80 से बढ़कर 131 हो गयी । उस वक्त देश में 2004 से लेकर 2014 तक कांग्रेस की सरकार थी। 2013 से लेकर 2024 तक भारतीय मीडिया का स्थान विश्व रैंकिंग में 131 से बढ़कर 159 नंबर पर पहुंच गया, देश में 2014 से लेकर अब तक बीजेपी की सरकार है।