गोरखपुर : विश्वस्त सूत्रों के हवाले से पुख्ता खबर है कि सिस्टम वेबसाइट मीडिया की खबर “झोलाछाप को पहचानो” का प्रसारण होने के बाद पुलिस प्रशासन द्वारा की गई कार्यवाही से झोलछापों के बीच जबरदस्त खलबली मची हुई है । इस खलबली के बीच कुछ दिन पहले झोलाछाप राम प्रकाश यादव, त्रिभुवन, सी के दास बंगाली, तथा दो तीन अज्ञात झोलछापों ने झोलछापों के संरक्षक बने वीरेंद्र राय की अगुवाई में एक गुप्त मीटिंग की । मीटिंग में यह तय हुआ कि खबर प्रसारित करने वाले पत्रकार सत्येंद्र के खिलाफ अलग अलग थानों में फर्जी तहरीर दी जाए । मीटिंग में शामिल हुआ एक ऐसा झोलाछाप जिसका अवैध अस्पताल प्रशासन ने सील कर दिया था, वो पत्रकार से अपने किये की माफी मांगने पहुँचा और उसने इस गुप्त मीटिंग के सारे रहस्य पत्रकार के सामने खोलकर रख दिये । सारी बात हिडेन कैमरे में रिकॉर्ड हो गयी जो अब इस साजिश का पक्का सबूत बनकर सामने आ चुकी है । गौरतलब है कि ड्रग माफ़िया वीरेंद्र राय अब तक प्रशासन को मूर्ख बनाते हुए चोरी छिपे अपने घर से दवाईयों का जो धंधा करता रहा है उस धंधे का कनेक्शन बहुत कम लोगो को पता है । शायद इसलिए वीरेंद्र राय की जीवनी एक्सपोज़ होने के बाद तमाम फुटकर दवा विक्रेताओ ने उससे पल्ला झाड़ते हुए उससे किनारा कर लिया । यह भी गौरतलब है कि ऐसी ही एक साजिश कुछ साल पहले आरुही हॉस्पिटल के संचालक विकास सिन्हा द्वारा पत्रकार के विरुद्ध रची गयी थी जिसका ऑडियो सामने आने के बाद एस.टी.एफ. के निर्देश पर कैंट पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर चार्जशीट लगाई और असल मायनो में उसी के बाद विकास सिन्हा के दुर्दिनों की शुरुआत हो गई ।
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