गोरखपुर : चिकित्सा पेशे के सदस्य के रूप में भर्ती होने के समय जो शपथ ली जाती है वो कुछ इस प्रकार है कि “मैं पूरी निष्ठा से अपने जीवन को मानवता की सेवा के लिए समर्पित करने की प्रतिज्ञा करता हूँ। मैं अपने शिक्षकों को वह सम्मान और कृतज्ञता दूँगा जो उन्हें मिलना चाहिए । मैं अपने पेशे को विवेक और गरिमा के साथ निभाऊँगा । मेरे मरीज का स्वास्थ्य मेरे लिए पहली प्राथमिकता होगी । मैं उन रहस्यों का सम्मान करूँगा जो मुझे बताए गए हैं । मैं अपनी शक्ति के अनुसार सभी तरीकों से चिकित्सा पेशे के सम्मान और महान परंपराओं को बनाए रखूँगा । मेरे सहकर्मी मेरे भाई और बहन होंगे । मैं धर्म, राष्ट्रीयता, जाति, आयु, लिंग, यौन अभिविन्यास, विकलांगता, पार्टी की राजनीति या सामाजिक स्थिति को अपने कर्तव्य और अपने मरीज के बीच हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दूँगा । मैं मानव जीवन के लिए सर्वोच्च सम्मान बनाए रखूँगा; यहाँ तक कि धमकी के तहत भी, मैं अपने चिकित्सा ज्ञान का उपयोग मानवता के नियमों के विपरीत नहीं करूँगा।/मैं ये वादे पूरी निष्ठा से, स्वतंत्र रूप से और अपने सम्मान की गारंटी पर करता हूँ ।”
जबकि पुलिस में भर्ती होते वक्त जो शपथ ली जाती है वो शपथ कहती है कि “मैं शपथ लेता हूँ और सत्य निष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं भारत और विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति श्रद्धा और सच्ची निष्ठा रखूंगा और मैं भारत की प्रभुता और अखंडता को अक्षुण्ण रखूंगा तथा अपने पद के कर्तव्य का राष्ट्रभक्ति इमानदारी और निष्पक्षता से पालन करूंगा ।”
गौरतलब है कि डॉक्टर अनुज सरकारी तथा सिपाही के बीच मारपीट के प्रकरण में न डॉक्टर ने अपने शपथ का पालन किया और न सिपाही ने । इस संबंध में लोगों की राय जानने तथा उनके तर्कों को कानून और कर्तव्यों की कसौटी पर परखने के लिए सिस्टम वेबसाइट मीडिया ने अपनी रिकॉर्डिंग लाइन आज सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक खोल रखी थी । इस दरम्यान आये लगभग सैकड़ों फोन कॉल्स में से ज्यादातर लोग सिपाही कें पक्ष में मांग करते सुनाई पड़े लेकिन इस मामले में उठे तर्कों का कोई जवाब नही दे पाया। कल रात इस संबंध में मेसेज सर्कुलेट होने के बाद एक व्हाट्सएप्प कॉल ऐसा भी आया जिसकी आई डी गौरव मखीजा के नाम से दिखाई पड़ रही थी । सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार नंबर डॉक्टर गौरव मखीजा का बताया जा रहा है परंतु उस नंबर पर दुबारा कॉल करने पर फोन रिसीव नही किया गया । सभी रिकॉर्डिंग्स को अपलोड किया जाना संभव नही है इसलिए यहाँ सिर्फ दो ऑडियो ही डाली जा रही है ।
इस प्रकरण में सिस्टम वेबसाइट मीडिया का मत है कि मात्र मुकदमा दर्ज करने से इस प्रकरण में कुछ हासिल नही होगा बल्कि इस मामले में कानून को अपने हाथ मे लेने वाले सिपाही को हमेशा के लिए पुलिस सेवा से बर्खास्त कर देना चाहिए और चिकित्सीय पेशे की गरिमा को तार तार करने वाले डॉक्टर की प्रैक्टिसिंग लाइसेंस को भी ताउम्र के लिए निरस्त कर देना चाहिए ।
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