गोरखपुर में सिपाही की तरफ से डॉक्टर पर मुकदमा दर्ज कराने तथा सिपाही को न्याय दिलाने के लिए तमाम संगठन और नेता आंदोलन कर रहे हैं लेकिन खुद को जबरन “मित्र पुलिस” साबित करने पर आमादा रहने वाली खाकी बुत बनी तमाशा देख रही है । आजाद अधिकार सेना ने भी सिपाही को न्याय दिलाने के लिए गोरखपुर के थाना कैंट पर धरने का एलान किया था लेकिन गोरखपुर में आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर और उनके कार्यकर्ताओं को धरना स्थल पर जाने से रोक दिया गया । धरना स्थल पर जाने से रोकने के लिए गोरखपुर की कैंट पुलिस ने अमिताभ ठाकुर और उनके कार्यकताओं को गेस्ट हाउस में ही नजरबंद कर दिया । नजरबंदी के बाद जब हाइवोल्टेज ड्रामा शुरू हुआ तो पुलिस ने अपना पैंतरा बदला और गेस्ट हाउस के हेल्पर जितेंद्र से झूठी तहरीर लेकर अमिताभ ठाकुर और उनके जिलाध्यक्ष पर बगैर अनुमति जबरन कमरे में घुसकर बैठ जाने का मुकदमा लिख दिया । पीड़ित सिपाही को न्याय से वंचित रखने वाली गोरखपुर की कैंट पुलिस ने पीड़ित सिपाही की तरफ से मुकदमा तो आज तक दर्ज नही किया लेकिन सिपाही के लिए न्याय की माँग करने वाले अमिताभ ठाकुर तथा उनके जिलाध्यक्ष पर फर्जी मुकदमा लिखने में पुलिस ने तनिक भी देर नही लगाई ।
पूरी तरह दबाव में लिखे गए इस फर्जी मुकदमे में कैंट पुलिस की पैतरेबाजी की कलई तब खुलनी शुरू हुई जब इस मुकदमे के संबंध में एक ऑडियो वायरल होने लगा । इस ऑडियो में गोरखपुर के सिचाई विभाग (डाक बंगले) के जे.ई. तथा मुकदमा लिखाने वाले केअर टेकर जितेंद्र की आवाज रिकॉर्ड है । बातचीत की इस ऑडियो से साफ पता चल रहा है कि कमरे के अलॉटमेंट के लिए सिचाई विभाग के जे.ई. से पहले बात हुई थी और जे.ई. साहब ने ही अपने सिचाई विभाग (डाक बंगले) के केअर टेकर जितेंद्र को कमरा बुक करने का आदेश दिया था । अब इस ऑडियो के वायरल होने के बाद कैंट पुलिस के दावे और हकीकत के बीच बड़ा फर्क नजर आ रहा है । अब तक कैंट पुलिस यही दावा कर रही थी कि अमिताभ ठाकुर और उनके जिलाध्यक्ष बगैर अनुमति के जबरन डाक बंगले में जाकर बैठ गए थे इसलिए मुकदमा लिखा गया ।