गोरखपुर : अखबारी योद्धाओं के कबाड़ रूपी अखबार में छपी आज की ताजातरीन खबर है कि “एम्बुलेंस गैंग मरीज को बहका कर निजी अस्पताल ले गया,अस्पताल ने सामान्य प्रसव कराने के नाम पर 32 हजार मांगे, इलाज में जच्चा बच्चा दोनो की मौत हो गयी, रुपयों के बग़ैर अस्पताल ने लाश देने से मना कर दिया, कैंट पुलिस के हस्तक्षेप के बाद परिजनों को लाश दी गयी और परिजनों ने अस्पताल के ख़िलाफ़ कार्यवाही की मांग की जिसपर जाँच चल रही है ।”
इतना कुछ हो गया ! अखबारों ने सारा माजरा लिखा… लेकिन माजरा लिखने के नाम पर कमबख़्त फिर से मुजरा कर गए । इतनी बड़ी खबर में भी, ख़बर के नाम पर उस यमदूती अस्पताल का नाम जानबूझकर छिपा लिया गया ।
अंदरखाने में चर्चा है कि अखबारी योद्धाओं ने ऐसी मनुष्यता इसलिए दिखाई है क्योंकि, उस अस्पताल से त्योहारी मिठाई के अलावा कई अखबारी योद्धाओं को कैशलेस इलाज योजना का लाभ भी मिल रहा हैं । “अब इतना कुछ घोंटने के बाद भी लोकतंत्र का चौथा खम्भा यदि उस अस्पताल से वफ़ादारी भी न निभाये, तो थू है ऐसी पत्रकारिता पर !” वैसे आपको बता दूँ कि उपरोक्त काण्ड खोवा मंडी स्थित “मृत्युन्जय हॉस्पिटल” में हुआ है ।