ऊपर छपे अखबारों की खबर को एक सांस में पढ़ जाईये और फिर भांग खाकर मतवाला बन चुके दैनिक जागरण और अमर उजाला के अखबारी पत्रकारों की कुख्यात पत्रकारिता का एक और नायाब नमूना देखिए। दैनिक जागरण,अमर उजाला के गोरखपुर संस्करण में आज जो खबर छपी है उसे देखनें पढने के बाद इन अखबारों की विश्वनीयता का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है । इन दोनों अखबारों में अक्सर एकपक्षीय भ्रामक और निराधार खबरों को छपता देख कहा जा सकता हैं कि आज इन अखबारों की खबरों पर विश्वास करना और काले सर्प पर विश्वास करना दोनो एक समान है । फर्जी खबरों के लिए कुख्यात आज इन दोनों अखबारों ने जिस व्यक्ति को जेल भेजा जाना दिखाया है उसकी सत्यता यह है कि उस व्यक्ति की जमानत लगभग 4 माह पूर्व हो चुकी है और जमानत प्रक्रिया भी पूर्ण कराई जा चुकी है । बावजूद इसके पुलिस द्वारा जबरन गिरफ्तार कर उस व्यक्ति को जेल भेजने की नीयत से अदालत के सामने पेश किया गया । अदालत ने युवक को गिरफ़्तार करने वाली झंगहा पुलिस की जमकर खिंचाई की जिसके बाद युवक को गिरफ्तार करने वाले दरोगा अदालत के सामने गिड़गिड़ाने की मुद्रा में आ गए और युवक को देर शाम न्यायालय से ही छोड़ दिया । युवक तो अपने घर चला गया लेकिन दैनिक जागरण और अमर उजाला अखबार के बगुला भगतों ने छापा हैं कि युवक को कल जेल भेज दिया गया है । मतलब शाम की पैग लगाई और अंट शंट कुछ भी छाप डाला । पत्रकार कहलाने के चक्कर मे बावले हुए इन पत्रकारों को इतनी भी समझ नही है कि पुलिस के सोशल मीडिया सेल में प्रसारित सूचना तथा प्रसारित किए गए प्रेस नोट के बीच एक बड़ा कानूनी फर्क होता है, और ये फर्क वही समझ सकते हैं जो दलाली छोड़ चिंतन और मनन करते हैं ।
दूसरी तरफ, इसी खबर को हिन्दुतान अखबार ने भी छापा है जिसे पढ़कर ऐसा लगता है कि हिंदुस्तान अखबार के रिपोर्टर ने खबर लिखे जाने तक पव्वे से दूरी बनाए रखी और खबर को सच्चाई के साथ अपने पाठकों के सामने रखा । हालांकि हिंदुस्तान अखबार के फर्जी खबरों के कई किस्से भी दलाली की बैतरणी में अब तक तैर रहे हैं । फिर भी देर आये दुरुस्त आये कि तर्ज पर कहा जा सकता है कि जो सुधार की तरफ अग्रसर हो रहा हो वही उत्तम है इसलिये हिंदुस्तान अखबार की सुधार प्रणाली को नमन । दूसरी तरफ बताया जा रहा हैं कि इस ख़बर की छपाई से खिन्न आरोपी के परिजन दैनिक जागरण और अमर उजाला अखबार के खिलाफ डिफेमशन का मामला कोर्ट में दाखिल कर सकते हैं ।
दलाल मीडिया की खिंचाई करने के कारण मैंने कई बार अप्रत्यक्ष रूप से ख़ुद के लिए यही सुना है कि अरे तुम्हारी तो मीडिया में इमेज ख़राब है। सच कहूँ तो मुझे तुम्हारी इस रीढ़विहीन अर्थात सरीसृप प्रजाति के झुंड वाली वर्णीय मीडिया में सम्मान प्राप्त करने की कोई इच्छा भी नहीं, क्योंकि मेनस्ट्रीम मीडिया में आज वही हैं जिन्होंने अपनी पत्रकारिता की वजह से नही, बल्कि निर्लज्जता की वजह से अपनी जगह बना रखी है । मुझे तो सम्मान जनता से भी नहीं चाहिए, और अपनी ख़ुद की ऑडियंस से भी नहीं । मैं जो कर रहा हूँ वो मेरा कर्तव्य है बल्कि बुरी तरह सड़ चुके इस स्थापित सिस्टम को समय समय पर कुरेदना ही मेरा पूर्ण कर्तव्य है । मैं यह भी जानता हूँ कि पूरी तरह सड़ चुका यह सिस्टम कभी अपने कुरेदने वालों को सम्मान नहीं देता । वैसे भी जो सम्मान की चाह रखते हैं उनसे अधिक छोटा व्यक्तित्व कोई हो ही नहीं सकता । इसलिए हे मतवाली विद्रूप मीडिया.. अपने ये मुँहझुलसे सम्मान अपने लिए ही रख लो, और मुझे अपनी सनक में ही रहने दो !