यूपी के स्वास्थ्य महकमे में व्याप्त आकंठ भ्रष्टाचार को लेकर हुए एक सनसनीखेज खुलासे ने, सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेन्स नीति की बखिया उधेड़ कर रख दी है । अमेठी जिले के आशीष सिंह ने सी एम योगी को पत्र लिखकर जल्द ही यू पी के दस जिलों में बनाये जाने वाले सीएमओ की संभावित सूची का खुलासा कर हड़कंप मचा दिया है । आशीष सिंह ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि यू पी स्वास्थ्य महकमे के प्रमुख सचिव और स्वास्थ्य मंत्री की मिलीभगत से प्रत्येक जिले में सीएमओ की कुर्सी को नीलाम किया जा रहा है । इस मामले में स्वराज इंडिया नामक अखबार लिखता है कि “40 लाख में बिक रही है सीएमओ की कुर्सी” !
दूसरी तरफ डेली हंट नामक लिंक से पोस्ट लिखा गया है कि “डिप्टी सीएम और पूर्व विधायक मुकेश श्रीवास्तव की जबरदस्त पैचिंग से स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल जबरदस्त तरीक़े से चल रहा है” । दागी लोग रुपए के दम पर सिर्फ कुर्सी ही नही बल्कि टेंडर ठेकों को भी हथिया ले रहे हैं ।
पूर्व विधायक मुकेश श्रीवास्तव को लेकर पर्दाफाश नामक वेबसाइट लिखता है कि “मुकेश श्रीवास्तव अपने चहेतों को जिलों में मनचाही तैनाती दिलाकर जेम पोर्टल की आई डी पासवर्ड के सहारे करोड़ों की खरीद फ़रोख़्त का खेल खेलता रहा है । यह हाल तब है जब मुकेश श्रीवास्तव की कई कंपनियां ब्लैक लिस्टेड हो चुकी हैं और जाँच के घेरे में हैं” ।
सूत्रों के अनुसार ,संभावित सीएमओ की जारी की गई सूची में गोरखपुर जिला अस्पताल के कार्यवाहक एसआईसी भ्रष्टाचार शिरोमणि राजेन्द्र कुमार का नाम भी शामिल है । लेकिन अंदरखाने में जबरदस्त चर्चा है कि इनके कर्मकांडों का खुलासा बड़े गलत वक्त पर हो गया इसलिए अब इनके लिए सीएमओ की कुर्सी का रेट एक खोखा किया जा चुका है । बताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार की जाँच के दोषी राजेन्द्र कुमार के आकंठ भ्रष्टाचार के मामले ने जब तूल पकड़ा तब जनता और मीडिया के दबाव में डिप्टी सी एम साहब ने कार्यवाही के आदेश तो दिए लेकिन कार्यवाही की प्रक्रिया के नाम पर प्रमुख सचिव कार्यालय द्वारा फ़ाइल जानबूझकर लटकाकर रखी गई है । प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार अपने खिलाफ कार्यवाही के आदेश के बाद भ्रष्टाचार शिरोमणि राजेन्द्र कुमार को अपने “बौद्धिक बदमाश उर्फ बड़े भैय्या” के साथ लखनऊ स्वास्थ्य महकमे का चक्कर काटते हुए कई बार देखा जा चुका है । तो क्या राजेन्द्र कुमार जैसे भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कार्यवाही का आदेश देकर जनता और मीडिया में सुर्खियाँ बटोरना सिर्फ एक पब्लिसिटी स्टंट था ? क्या राजेन्द्र कुमार जैसा भ्रष्टाचारी महानायक भी 40 लाख रुपये देकर सीएमओ की रेस में शामिल था ? क्या वाकई में भ्रष्टाचारी राजेंद्र कुमार के विरुद्ध आई जाँच रिपोर्ट तथा खुलासों ने राजेन्द्र कुमार के लिए सीएमओ की कुर्सी का रेट एक खोखा कर दिया ? क्या यूपी स्वास्थ्य महकमे की शीर्ष व्यवस्था अब नीलामी प्रक्रिया की ओर रूख कर चुकी है ?
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