गोरखपुर : सर्वसुलभ पत्रकारों की एक ही प्रजाति से आज तक परिचित रहे जिला अस्पताल गोरखपुर के कर्मकांडियों का पाला जब पत्रकारों के दूसरी टाइप की दुर्लभ प्रजाति से हुआ, तब से इनकी लंका लगनी शुरू हो गयी । इनके कर्मकांडों का खुलासा होते ही इनके स्वघोषित ईश्वरत्व को ऐसा आघात लगा कि इन अहंकारी बौद्धिक बदमाशों ने खुलासा करने वाले पत्रकार के खिलाफ ही मनगढंत एफआईआर करवा दी । एफआईआर करवा तो दी लेकिन ये बौद्धिक बदमाश यह नही जानते थे कि जिस तरह झूठ के पैर नही होते, ठीक उसी तरह फर्जी मुकदमों के सबूत भी नही होते । और जो फर्जी सबूत गढ़ते हैं उनका गणित हिसाब किताब सब समय से हो जाता है ।
जिला अस्पताल गोरखपुर में मौजूद सक्रिय ख़ुफ़िया तंत्र बताते हैं कि बीती रात जिला महिला चिकित्सालय के जिन कर्मचारियों को जिस स्वघोषित ईश्वरीय अवतार के जन्मदिन की पार्टी में शरीक होने का अवसर मिला है….उस स्वघोषित ईश्वरीय अवतार, लैब तकनीशियन बृजेन्द्र बीर सिंह उर्फ वी बी सिंह उर्फ बड़े भैय्या के कारनामों के खिलाफ शासन से जाँच खोल दी गयी है । जाँच सिर्फ बड़े भैय्या पर नही बल्कि 25 सालों से जिला अस्पताल में जमे उनके अनुचर शेष चौधरी पर भी खोली गई है, लेकिन मुझे यह बताने में जरा भी हिचक नही है कि बड़े भैय्या को जन्मदिन का ये बेहतरीन तोहफा मेरी ओर से ही दिया गया है वो भी इसलिए, क्योंकि महान जगलर लोग बताते हैं कि बड़े भैय्या ने आजतक अपने खिलाफ कोई जाँच गठित ही नही होने दिया । यह अकाट्य सत्य है कि ज्यादातर लोकसेवकों को ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठता ठीक वैसे ही हजम नही होती है जैसे_”कुत्तों को देसी घी” ! ढिंढोरा “ईमानदारी कर्तव्यनिष्ठता, कर्मठता, सुशासन तथा जीरो टॉलरेंस” का पीटते है और अपनी ही नाक के नीचे भ्रष्टाचार की नई नई कर्मनाशा ईजाद करते चले जाते हैं । लानत है ऐसे तथाकथित ईमानदार पाखंडियों पर !
महज 5 हजार के आरंभिक वेतन से शुरुआत करते हुए करोडों की चल अचल और नामी बेनामी संपत्ति का साम्राज्य खड़ा करने वाले तथा मानव संपदा पोर्टल पर अपनी वास्तविक आय का डेटा अपलोड न कर शासन और सरकार को गुमराह करने वाले महिला जिला चिकित्सालय गोरखपुर के लैब तकनीशियन वी बी सिंह पर आरोप है कि जिला महिला चिकित्सालय से लेकर जिला चिकित्सालय गोरखपुर में व्याप्त आकंठ भ्रष्टाचार का पूरा “चित्रहार” इन्ही के रिमोट कंट्रोल से संचालित होता है । यह तो सर्वविदित है कि अपने आपको कर्मठ, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और खाँटी इज्जतदार बताने वाले लैब तकनीशियन वी बी सिंह तत्कालीन कमिश्नर की जाँच में भ्रष्टाचार के दोषी साबित किये जा चुके हैं । दोषी साबित होने के बाद बड़े भैय्या का तबादला हो जाना और तबादले के एक महीने बाद ही तबादला निरस्त करवा कर वापस अपनी कुर्सी पर विराजमान हो जाना किस ईश्वरीय कृपा की वजह से संभव हुआ, ये जाँच तो होगी ही, साथ ही आउटसोर्सिंग के तहत माल लेकर की गई नियुक्तियों मे बड़े भैय्या का कितना हाथ है इसकी भी जाँच होनी तय है ।
अंगूरी के आगोश में मदहोश होकर अपने सहकर्मी के साथ की गई घटना के मामले में शासन से स्वीकृत अभियोजन का जिन्न भी अपने बोतल से बाहर निकलेगा और बताएगा कि अपने विरुद्ध संस्थित अभियोजन को किस हद तक जिले में पदस्थ रहकर प्रभावित किया गया । ताजा प्रकरण में खोजबीन के दौरान यह भी तथ्य प्रकाश में साक्ष्यों सहित आ चुका है कि वी बी सिंह 2023 के बाद से ही फर्जी तौर पर अपने आपको यूपी प्रयोगशाला प्राविधिज्ञ संघ का अध्यक्ष घोषित कर इसका लाभ उठाता रहा हैं । जब यह मामला शासन तक पहुँचा तब शासन ने भी वी बी सिंह को अध्यक्ष मानने से इंकार करते हुए तथा इस सम्बंध में पत्र जारी करते हुए समस्त को अपने निर्णय से अवगत करा दिया , लेकिन अपनी थेथरई से ख्यातिलब्ध हुए परम भौकाली बड़े भैय्या अब तक अपने आपको अध्यक्ष लिखते हुए अंट शंट पत्रक जारी करते रहते हैं ।
इन सबके अलावा यह भी खबर है कि महिला जिला अस्पताल गोरखपुर में फर्जी मेडिकल का दंश झेलने वाले एक पीड़ित ने भी बड़े भैय्या को भ्रष्टाचारी बताते हुए शासन से लेकर मुख्यमंत्री तक अपनी गुहार लगाई है जिसकी जाँच ए डी हेल्थ साहब द्वारा की जा सकती हैं । अब चोरी और सीनाजोरी दोनो एक साथ तो चल नही सकता, इसलिए चोट्टों को यह याद रखना चाहिए कि झूठ और सच का मुकाबला बिल्कुल शतरंज के खेल की तरह है । इस खेल में जबतक आप खेलते हैं तब तक आप राजा वजीर प्यादे सबको अलग अलग अहमियत देते हैं लेकिन जब खेल खत्म होता है तो ये राजा रानी प्यादा वजीर सब, एक ही डिब्बे में बंद कर दिये जाते है । इसलिए अब भ्रष्टाचार और कदाचार का ये खेल भी खत्म होगा और डिब्बे भी बंद होंगे ।