गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर गोरखपुर पुलिस अधिकारियों और जवानों पर भी उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए पदकों की बौछार हुई है । मेरा मानना है कि जिस तरह गलत काम का खुलकर विरोध होना चाहिए ठीक उसी तरह जब काम प्रशंसायोग्य हो तो उसकी खुलकर प्रशंसा भी की जानी चाहिए । डी.जी.पी. उत्तरप्रदेश की ओर से जिले में एस.पी. सिटी की कमान संभाले आईपीएस अभिनव त्यागी व सी.ओ. चौरीचौरा अनुराग सिंह तथा कोतवाली थाना प्रभारी छत्रपाल सिंह ,एस.ओ.जी. प्रभारी सूरज सिंह तथा पुलिस लाइन केशव सिंह को शौर्य प्रशंसा चिन्ह (सिल्वर) दिया गया है । वहीं दूसरी तरफ मनीष यादव स्वाट प्रभारी को शौर्य प्रशंसा चिन्ह का (गोल्ड) मिला है ।
ये तो रही बात गणतंत्र दिवस पर गोरखपुर पुलिस को मिले प्रशंसा चिन्ह की लेकिन अब बात करते हैं प्रेस क्लब गोरखपुर के चुनाव की ! चुनाव के बाद खुसर फुसर यह शुरू हो चुकी है कि गोरखपुर प्रेस क्लब चुनाव के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों के पैर सबसे पहले मंदिर में पड़ने की बजाय इस बार दरगाह पर क्यों पड़ गए ? खुसर फुसर होनी लाज़िमी थी, क्योंकि मंदिर में पैर पड़ने की कोई फोटो सोशल मीडिया में तो दिखाई नही पड़ी लेकिन दरगाह पर भव्य स्वागत के वीडियो ने खूब सुर्खियाँ बटोरी ।
“प्रेस क्लब गोरखपुर” के चुनाव में जीतने के बाद जब प्रत्याशियों के कदम मंदिर जाने की बजाय दरगाह की ओर चल पड़े तब लगने लगा की जीत के बाद उनका ‘आध्यात्मिक रास्ता’ थोड़ा बदल सा गया है। अब चुनाव जीतने के बाद सीधे दरगाह की शरण में जाने के कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं । यह भी सुना गया है कि जब से सीएम साहब की नजरें वक्फ़ बोर्ड और उसकी संपत्तियों पर टेढ़ी हुई हैं तब से वक्फ़ सम्पत्तियों के नंबरदार मौसम के बिगड़ने का अंदाजा भांप कर छतरी की तलाश में लगे हैं, और शायद इसी छतरी की तलाश और आस की जुगलबंदी प्रत्याशियों के कदमों को सबसे पहले दरगाह की ओर मोड़ ले गयी । दूसरी तरफ दरगाह के मुखिया के कृत्यों से पीड़ित पत्रकार ने जब से इस भव्य इस्तक़बाल का वीडियो देखा है तब से उसकी पीड़ा बढ़ गयी है और वह छाती पीट पीट कर दहाड़े मारे चला जा रहा है । और अब बात करते हैं महाकुंभ की !
कहना यह है कि कुछ अनपढ़ जलील माईकधारी व्यूखोर जिस तरह से कुम्भ की प्रतिष्ठा का नाश कर रहे हैं, उसके कारण अब इन्हें रोकना आवश्यक हो चला है । जलील व्यूखोर की टोली एक तरफ आईआईटियन बाबा के पीछे तबतक पड़ी रही, जबतक कि उसका समस्त अर्जित ज्ञान नष्ट न हो गया, और वह अंड बंड न बकने लगा । इस नौजवान के पीछे यह असभ्य भीड़ तबतक लगी रही जबतक अपनी ओर से उसका लगभग सम्पूर्ण नाश न कर दिया। दूसरी तरफ उस माला बेचने वाली लड़की “मोनालिसा” के पीछे तब तक पड़े रहे जब तक कि वह वापस भाग नहीं गयी । इन दिमाग़ से विकलांग लोगों को यह समझ नहीं आया कि एक साधरण सी मेहनतकश आदिवासी लड़की जो इस कुम्भ से पहले भी कहीं ना कहीं किसी मेले हाट में यही काम कर रही होगी । लेकिन आज तक किसी अंधे को ना इसके नैन नक्श दिखाई दिए और न ही जुल्फों की घटाएं । सिर्फ ये हुस्न की आंधी दिखाई पड़ी यूपी के उन ख़लिहर लपोकियों को जो कुम्भ का सत्यानाश करने पर आमादा हैं । एक तरफ इन लपोकियों की हरक़तों से संगम में डुबकी लगाने गए लोग मोनालिसा की आँखों में डूब गए तो दूसरी तरफ यह सब देखकर भारत के बढ़ते आध्यात्मिक स्तर पर पूरी दुनिया के बुद्धिजीवी चिंतित हो गए ।
अपडेट
सिस्टम वेबसाइट मीडिया पर खबर प्रसारित होने के लगभग एक दिन बाद प्रेस क्लब गोरखपुर के उपाध्यक्ष द्वारा फोन कर बताया गया है कि चुनाव जीतने वाली नई कार्यकारिणी मंदिर में भी दर्शन करने गयी थी । इस संबंध में उनके द्वारा तस्वीर भी प्रेषित की गई है । हालांकि उपाध्यक्ष भूपेंद्र द्विवेदी द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि खबर के प्रकाशन के पूर्व जब सिस्टम वेबसाइट मीडिया द्वारा उनका पक्ष जानने के लिए फोन किया गया था तब व्यस्तता की वजह से वो फोन नहीं उठा पाये थे । उपाध्यक्ष भूपेंद्र द्विवेदी द्वारा आज सिस्टम वेबसाइट मीडिया को उक्त सम्बंध में अपना पक्ष प्रेषित किया गया जिसे प्रकाशित किया गया है ।