दु:खद,जाते-जाते कुम्भ ने अपनी भव्यता और भयावहता दोनो का अहसास करा दिया !

(प्रयागराज) : कुंभ में आज देर रात (सुबह) अनियंत्रित भीड़ ने संगम किनारे पिछली दुर्घटनाओं के इतिहास को फिर से दोहरा दिया । अभी मृतकों, घायलों और लापता लोगों के बारे में अलग अलग-अलग जानकारी सामने आ रही हैं । कुछ भी स्पष्ट नही है और शाम तक ही कुछ सही तस्वीर सामने आ सकेगी।

कुंभ मेला, दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समारोहों में से एक है, जहाँ विशाल भीड़ के कारण दुर्भाग्यपूर्ण रूप से कई दुखद भगदड़ की घटनाएँ हुई हैं। यहाँ कुंभ मेला में हुई कुछ ऐतिहासिक भगदड़ की घटनाओं का उल्लेख किया गया है ।

1954 कुंभ मेला भगदड़ (इलाहाबाद/प्रयागराज तारीख 3 फरवरी, 1954)

विवरण : यह कुंभ मेला के इतिहास में सबसे घातक भगदड़ में से एक है। यह घटना मुख्य स्नान दिवस (मकर संक्रांति) पर हुई, जब लाखों श्रद्धालु संगम (गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम) में पवित्र डुबकी लगाने के लिए एकत्र हुए थे। भगदड़ तब शुरू हुई जब अचानक श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई। आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार मरने वालों की संख्या लगभग 800 थी, हालाँकि कुछ स्रोतों का दावा है कि यह संख्या इससे कहीं अधिक थी।

1986 कुंभ मेला भगदड़ (हरिद्वार,तारीख 12 अप्रैल, 1986)

विवरण : हरिद्वार में कुंभ मेला के दौरान एक भगदड़ हुई, जिसमें लगभग 50 लोगों की मौत हो गई। यह घटना हर की पौड़ी घाट के पास हुई, जो एक प्रमुख स्नान स्थल है, जब भीड़ अनियंत्रित हो गई।

2003 कुंभ मेला भगदड़ (नासिक,तारीख 27 अगस्त, 2003)

विवरण : नासिक कुंभ मेला के दौरान गोदावरी नदी के पास एक भगदड़ हुई, जिसमें 39 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हो गए। यह त्रासदी तब हुई जब श्रद्धालु पवित्र स्नान करके वापस लौट रहे थे और एक पुल के गिरने की अफवाह के कारण भीड़ में हलचल मच गई।

2013 कुंभ मेला भगदड़ (इलाहाबाद/प्रयागराज तारीख 10 फरवरी, 2013

विवरण : कुंभ मेला के दौरान इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में 36 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। यह घटना तब हुई जब स्टेशन पर एक पैदल पुल पर भीड़ बढ़ गई, जिससे घबराहट और अफरा-तफरी मच गई।

और अब ….2025 कुंभ मेला भगदड़ (इलाहाबाद/प्रयागराज तारीख 29 जनवरी, 2025)

विवरण : कुंभ मेला के दौरान मेला क्षेत्र में संगम में डुबकी लगाने की होड़ में हुई भगदड़ में कई लोगों की जान चली गई और कई अन्य लोग घायल हैं । आधिकारिक आंकड़ा अभी स्पष्ट नही है ।

ये घटनाएँ इतनी बड़ी सभाओं के प्रबंधन चुनौतियों को उजागर करती हैं, और उनपर सवालिया निशान भी छोड़ती हैं । भले ही व्यापक योजना और सुरक्षा के उपाय किए गए हों लेकिन नियति के विकराल रूप ने फिर अपनी क्रूरता को प्रकट किया और सारे इंतजामात धरे रह गए । इस बार वीआईपी मूवमेंट इस विशाल जमावड़े को अनियंत्रित करने का कारण बनी और साधारण लोगों के लिए संगम पर पहुँचने के होड़ तथा मार्ग की संकीर्णता ने दुर्घटना को फिर से जन्म दिया !

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *