सरकार से मान्यता लेकर सुविधाओं की मलाई काटने वाले मान्यताप्राप्त पत्रकारों के दस्तावेज कितने सच्चे हैं.. और कितने जुगाड़ू ?

उत्तर प्रदेश में मान्यताप्राप्त पत्रकारों का नवीनीकरण हर पाँच वर्ष में किया जाता है। यह प्रावधान उत्तर प्रदेश पत्रकार मान्यता नियमावली, 2016 के तहत निर्धारित किया गया है । हालांकि इन मान्यतप्राप्त लोगो की असलियत यही है कि ऐसे पत्रकारों को सरकार तभी तक मानती है जब तक ये सरकार की मानते हैं ।

उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के बीच पत्रकारिता करने के लिए नही बल्कि पत्रकारिता की मलाई काटने के लिए मान्यताप्राप्त पत्रकार बनने की होड़ मची रहती है । वो भी मात्र इसलिए क्योंकि सरकार द्वारा इन्हें कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं ,मसलन ….

1. स्वास्थ्य बीमा : पत्रकारों को सरकार की ओर से स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ मिलता है, जिसके तहत इलाज और स्वास्थ्य संबंधी खर्चों में सहायता प्रदान की जाती है । हालांकि ये कभी बीमार पड़ते नही बल्कि अपनी पत्रकारिता बनाम पेटकारिता से समाज देश और सिस्टम को बीमार करते रहते हैं (निजी विचार)

2. पेंशन योजना : मान्यताप्राप्त पत्रकारों को सरकारी पेंशन योजना का लाभ मिलता है, ताकि कम से कम रिटायरमेंट के बाद बगैर किसी दलाली के अपना जीवनयापन को कर सकें । (निजी विचार)

3. ऋण योजनाएं : पत्रकारों को विभिन्न बैंक और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से बिना अधिक ब्याज दर पर ऋण लेने की सुविधा मिलती है .. हालांकि अपने पत्रकारिता जीवन मे ये कई लोगों का रुपया बग़ैर ब्याज के ही डकार चुके होते हैं..और इनमें से तमाम लोग ऐसे हैं जो ऋण लेते नही बल्कि ब्याज पर ऋण देने का धंधा करते हैं । (निजी विचार)

4. मृत्यु लाभ योजना : पत्रकारों की मृत्यु पर उनके परिवार को राहत देने के लिए मृत्यु लाभ योजना लागू की गई है । हालांकि… पेटकारिता करने वालों को जान का कोई खतरा नही होता ..वैसे भी जोंक और वायरस जल्दी कहाँ मरा करते हैं ? (निजी विचार)

5. आवास योजना: कुछ योजनाओं के तहत पत्रकारों को सस्ते दरों पर सरकारी आवास उपलब्ध कराए जाते हैं । हालांकि पत्रकारिता के आरंभ से अंत तक ये कई हवेलियां के मालिक बन चुके होते हैं.. उदाहरणतः कानपुर के पत्रकार अवनीश दीक्षित । (निजी विचार)

6. सुरक्षा व्यवस्था : पत्रकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सरकार विशेष सुरक्षा प्रबंध भी करती है, खासकर उन पत्रकारों के लिए जो संवेदनशील मुद्दों पर काम करते हैं ..हालांकि पत्रकारों के लिए आज सबसे बड़ा संवेदनशील मुद्दा तो सिर्फ माल बनाना है । (निजी विचार)

7. समान्य सुविधाएं : पत्रकारों को सरकारी कार्यक्रमों में विशेष प्रवेश, सूचना तक आसान पहुंच, और अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं…. ताकि ऐसे आयोजनों में वे अधिकारियों नेताओं के साथ खुलकर सेल्फी ले सकें और इसका सदुपयोग आमजनों को मूर्ख बना कर उनसे माल ऐंठने में कर सकें । (निजी विचार)

उत्तर प्रदेश में मान्यताप्राप्त पत्रकार बनने के लिए कुछ नियम और शर्तें निर्धारित की गई हैं । कहने को तो ये शर्तें पत्रकारों की पात्रता, कार्यक्षेत्र और उनके पेशेवर मानकों को ध्यान में रखते हुए तय की जाती हैं लेकिन बहुतेरे तो इनमें “करिया अक्षर भैंस बराबर हैं” और बहुतेरे ऐसे जिनकी पत्रकारिता के विषय मे आपने कभी देखा सुना भी नही होगा । यूपी में मान्यताप्राप्त पत्रकार बनने के लिए निम्नलिखित प्रमुख नियम और शर्तें होती हैं:

1. पत्रकारिता का अनुभव : उम्मीदवार को कम से कम 3 वर्ष का पत्रकारिता अनुभव होना चाहिए । यह अनुभव एक मान्यता प्राप्त समाचार पत्र, पत्रिका या समाचार एजेंसी में काम करने का होना चाहिए। चाहे भले आपके अखबार को कोई न जानता हो और उसका पीडीएफ व्हाट्सएप्प पर रायता फैलाता रहता हो तब भी चलेगा ।

2. पारिश्रमिक : पत्रकार को एक निश्चित राशि के पारिश्रमिक पर काम करना आवश्यक होता है, जो सरकार द्वारा तय किया जाता है भले उस पारिश्रमिक से पचास गुणा ज्यादा आप दलाली और लंद फंद से कमाते हों..उसको आपकी आय नही माना जायेगा

3. आवेदन पत्र : पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने के लिए आवेदन पत्र भरना होता है। यह आवेदन पत्र संबंधित जिले के सूचना विभाग या राज्य सरकार के प्रेस सूचना विभाग में जमा करना होता है .. भले आप जीवन मे पहली बार कोई फॉर्म भर रहे हों.. या न भर पाएं तो किसी और से भरवा लें..तब भी चलेगा ! आवेदन पत्र के साथ आवेदनकर्ता को अपनी पहचान, काम करने का प्रमाण पत्र, और पत्रकारिता से संबंधित अनुभव का प्रमाण पत्र भी जमा करना होता है ..जिसे आप किसी भी दल्ले टाइप संस्थान को दलाली की कीमत चुका कर प्राप्त कर सकते हैं ।

4. पत्रकारिता संबंधी डिग्री/प्रमाणपत्र : कई बार उम्मीदवार को पत्रकारिता में डिग्री या प्रमाणपत्र दिखाने की आवश्यकता हो सकती है, जो यह साबित करे कि वे पत्रकारिता के पेशे से जुड़े हुए हैं और उन्हें पत्रकारिता का ज्ञान है..लेकिन घबराइए मत ! बस पचास एक.. कि व्यवस्था कीजिये, डिग्री हाजिर हो जाएगी और आपको याद करने की जरूरत तक नही है कि आपके जर्नलिज्म की किताब का पहला पन्ना क्या था और आपका क्लासरूम कहाँ था ?

6. सामाजिक जिम्मेदारी : उम्मीदवार को पत्रकारिता के पेशे में नैतिकता और ईमानदारी के सिद्धांतों का पालन करना जरूरी होता है..जो आजकल पत्रकारिता में कहीं दिखाई ही नही देती है !

7. नवीनीकरण : पत्रकारों को अपनी मान्यता का नवीनीकरण हर पांच साल में करना होता है। इसके लिए उन्हें फिर से प्रमाणपत्र और अन्य दस्तावेज़ जमा करने होते हैं ..आपके पत्रकारीय ज्ञान का हर वर्ष भले अल्पीकरण होता रहे चलेगा, परन्तु पेटकारिता की मान्यता का नवीनीकरण समयसे होना अत्यंत आवश्यक है 

हैरत है कि पत्रकारिता की कालिमा और उसका काला अध्याय तो इतिहास में दर्ज होता चला जा रहा है लेकिन पत्रकारों की सूची सफेद पन्नो पर उकेरी जा रही है ! नीचे दिए गए पीडीएफ फ़ाइल में जल्दी से गोरखपुर जिले के सफेद पन्नों पर उकेरी गई मान्यतप्राप्त पत्रकारों की सूची देख लीजिये..अन्यथा देर हो सकती है..क्योंकि बहुत जल्द इस सूची में सुशोभित कुछ पत्रकारों की जीवनी,असल आजीविका तथा शैक्षणिक इतिहास की जाँच खोली जा सकती है । अभी तक मिली जानकारी के अनुसार लगभग अस्सी प्रतिशत पत्रकारों के शपथ पत्र नोटरी अधिनियम के तहत न बनकर मनमाने तरीके से बने हैं.. मतलब शपथ पत्र फर्जी हो सकते हैं, और फर्जी शपथ पत्र के मामले में ऐसा मुकदमा चलाया जा सकता है जिसमे आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है !

गोरखपुर की सूची ….पीडीएफ

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