एक तरफ महिला डॉक्टर फंसी तो दूसरी तरफ अधिकारी रिश्वत लेते हिडेन कैमरे में फंसे !

अल्ट्रासाउंड की आड़ में अवैध धंधों ने नरक मचा रखा है । सरकार की मुखबिर योजना और कार्यवाहियां सब दलाली की भेंट चढ़ चुकी हैं । अल्ट्रासाउंड की आड़ में किए जा रहे अवैध धंधे समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा करते हैं । न जाने कितनी जगहों पर, जहां डॉक्टरों ने शपथ ली थी कि वे जीवन बचाने के लिए काम करेंगे लेकिन अब वही डॉक्टर जीवन के सबसे बड़े अपराध को अंजाम दे रहे हैं। बाल लिंग परीक्षण, भ्रूण हत्या, और अन्य गैरकानूनी गतिविधियां, जो समाज को शर्मसार कर रही हैं, ये सब इसी ‘अल्ट्रासाउंड’ के नाम पर हो रहे हैं ।

इसी क्रम में एक स्टिंग ऑपरेशन में पकड़े गए अल्ट्रासाउंड सेंटर जे मामले में मेरठ स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और मिलीभगत भी सामने आई है। स्टिंग आपरेशन में बाद मेरठ के ग्लोबल डायग्नोस्टिक की डॉ. छवि बंसल और उनके स्टाफ के साथ दलाल को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था लेकिन दलाली और अवैध क्रियाकलाप का अड्डा बन चुके इस सेंटर का लाइसेंस अब तक रद्द नहीं किया गया है । मेरठ सीएमओ ने क्लीनिक पर सील तो लगाई, लेकिन आरोपी क्लीनिक का लाइसेंस रद्द करने को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की । इस मामले में मेरठ के सीएमओ और डिप्टी सीएमओ के खिलाफ भी कार्यवाही की मांग डीएम से की गई है ।

ये बात बिल्कुल सही है कि चूहा कहीं पर भी बिल बना सकता है और अफसर कहीं का भी बिल बना सकता है ! हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ है जिसे विकास भवन गोरखपुर के एक भ्रष्टाचारी अफसर बैजनाथ सिंह का बताया जा रहा है । इस वीडियो में अफसर अपने कार्यालय में एक कैमरे के सामने आठ हजार रुपया गिनते हुए कैद हुआ है । सोशल मीडिया पर यह वीडियो आग की तरह फैल चुका है और इस वीडियो ने भ्रष्टाचार पर चर्चा का एक और नया मोर्चा खोल दिया है । लेकिन अफसर साहब ने इस पूरी घटना को अपनी स्थिति के अनुसार स्पष्ट करते हुए यह दावा किया कि उन्होंने रिश्वत नहीं ली, बल्कि वह सिर्फ अपना उधार वापस ले रहे थे। यह बयान सचमुच हैरान करने वाला था ! मतलब सरकारी कार्यालय में बैठकर ये जनाब उधारी बांटते भी हैं और वसूलते भी हैं । हालांकि की वीडियो में सुनाई दे रही बातचीत अफसर महोदय के सफाई से परे अपनी एक अलग कहानी कह रही है । बहरहाल अफसर साहब की सफाई से अब यह स्पष्ट हो गया है कि हमें अपने आसपास के भ्रष्टाचार को समझने और उसे चुनौती देने के लिए अब और अधिक जागरूक होना पड़ेगा, ताकि अगला अफसर अपनी सफाई में फिर से “उधारी” का मामला न बना लाए ।

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