गोरखपुर : सही कहूँ तो इन अख़बरियों के बारे में अब मैं कुछ भी लिखना पढ़ना नही चाहता, लेकिन इन ससुरों से आमजन के साथ अब पढ़े लिखे पत्रकार लोग भी दुःखित और द्रवित होते जा रहे हैं । शायद यही कारण है कि आमजनों के साथ अब पत्रकार लोग भी सिस्टम वेबसाइट मीडिया से अपनी तकलीफें साझा करने लगे हैं । आज जिन्हें पत्रकारिता का “प” भी नही मालूम वो पत्रकार हैं… जैसे गोरखपुर की पत्रकारिता जगत का “काला कौव्वा” ! आप तो समझ ही गए होंगे कि कौन “काला कौव्वा” ?
इन ससुरों की पत्रकारिता का ज्ञान ठीक उतना ही है जितनी सूर्य और धरती के बीच की दूरी ! आजकल के अखबारों में एक नई क्रांति आई है – अब अखबारों के पन्नों पर वो खबरें छपती हैं, जो दिलचस्प तो होती है लेकिन सच से कोसों दूर होती हैं । सबसे पहला सवाल यह उठता है कि ये फर्जी खबरें आखिर आती कहाँ से हैं ? एक अदृश्य “स्रोत” से ! जैसे ही एक “स्रोत” से जानकारी आती है, हमारे पत्रकार महोदय तुरंत उसे अपने पन्नों पर सूत्र का नाम देकर धड़ल्ले से छाप देते हैं । जांच-परख की कोई जरूरत नहीं, चाहे खबर किसी भूतिया घोड़े के बारे में हो, या फिर किसी सेल्फी लेने वाली मुर्गी के अद्भुत कारनामों की ।
फर्जी खबरों के बाज़ार में अक्सर एक जानी-पहचानी ट्रिक का इस्तेमाल होता है – “हमारे सूत्रों ने बताया”। ये सूत्र तो विराट मूत्रों की नदी में यूं बहते मिल जाते हैं और इतने रहस्यमयी होते हैं कि उनका नाम तक कोई नहीं जानता । ऐसे में “सूत्र” अगर कल को कहें कि आसमान में हाथी उड़ रहे हैं, तो हमें पूरा यकीन हो जाता है, क्योंकि स्रोत उर्फ सूत्र दोनो महान हैं । लगभग दस सालों से बड़े अखबारों में पत्रकारिता कर अब अपना खुद का संस्थान शुरू करने वाले पत्रकार अनुराग श्रीवास्तव बताते हैं कि पीपीगंज में 30 कॉपी की एजेंसी लेकर पत्रकार बना घूम रहा अमर उजाला के सरीसृप वर्ग के घुमंतू प्राणी अम्बुज गुप्ता ने पत्रकार अनुराग श्रीवास्तव के बारे में फर्जी खबरे छाप छाप कर माहौल गरम कर रखा है ।
यहां तक कि अपनी खबरों में पीपीगंज में विचरण करने वाले इस अद्भुत जीव ने पत्रकार अनुराग को वांछित भी बता दिया है जबकि पुलिस कहती है कि ऐसा कुछ भी नही है । पत्रकार अनुराग श्रीवास्तव बताते हैं कि उनके विरुद्ध इन फर्जी खबरों के प्रकाशन में बहुत हद तक कथित पत्रकार शिवम सिंह का भी हाथ है । बताया गया है कि बेसिर पैर की अपनी फर्जी खबरों के कारण कुख्यात हो चले कथित पत्रकार शिवम सिंह की विदाई अमर उजाला से उसी वक्त तय हो गयी थी जब इनकी वजह से संस्थान को काफी कानूनी दांव पेंच का सामना करना पड़ रहा था । अमर उजाला से विदाई के बाद कथित पत्रकार शिवम सिंह हिंदुस्तान में आ गए । फ़िलहाल इस मामले में भी पत्रकार अनुराग श्रीवास्तव अमर उजाला को कानूनी नोटिस भेजने की तैयारी में हैं ।
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