“ठा.. ठा… ठा…ठाकुर तो गियो”…और अब “बड़े भैय्या” की महादशा शुरू !

गोरखपुर : ठाकुर साहब ने जितना सोचा नही था उससे कहीं ज्यादा अच्छा हो रहा है उनके साथ ! सुना है कि 40 लाख भी गए और “सीएमओ की कुर्सी रेस” से निकाल कर बाहर भी खदेड़ दिए गए । वजह ये है कि अपने कुटिल साम्राज्य के विस्तार को अपने अहंकार में तब्दील कर ठाकुर साहब अपने आप को अजेय मान बैठे थे और रही सही कसर उनके महादंभी बड़े भैय्या ने पूरी कर दी । कानाफूसी तो यह चल रही है कि ठाकुर साहब को जो सजा मिली है उससे ज्यादा अच्छा तो यह होता कि ठाकुर साहब सस्पेंड हो जाते या उनका तबादला हो जाता । लेकिन इतना बुरा हुआ है कि ठाकुर साहब को अब उसी चैम्बर में घुसने से पहले दरवाजे पर खड़े होकर “मे आई कमिन सर” पूछना पड़ेगा.. जिस चैम्बर की कुर्सी पर बैठकर ठाकुर साहब अपने अनुचरों को जी भर के गरियाया करते थे । स्पष्ट सूत्र यह बताते हैं कि ठाकुर साहब कुर्सी से उतारकर यहाँ सिर्फ रखे इसलिए गए हैं ताकि ठाकुर साहब के जाते ही कहीं इनके कुटिल साम्राज्य की कालिख भरी पोथियों में आग न लग जाये या फिर कहीं वो खो न जाये ।

बताया जा रहा है कि ठाकुर साहब मक्खनबाजी के चक्कर मे बार बार नवांगतुक साहब को उनके यहां आने से पहले ही फोन कर उनका हाल चाल ले रहे थे हालांकि इसकी बिल्कुल भी जरूरत नही थी, क्योंकि इनके कर्मकांडों की विस्तृत रूपरेखा नवागंतुक साहब के पास पहले ही पहुंचाई जा चुकी है । लगभग सवा करोड़ में अपने पाल्य के लिए एमबीबीएस की सीट खरीदने के मामले में भी “कागजी कीड़ा” रेंगना शुरू कर चुका है और मामला इतना गंभीर हो चुका है कि ठाकुर साहब पर एफ.आई.आर. और जेल की  नौबत भी आ सकती है । दूसरी तरफ ठाकुर साहब के “बड़े भैय्या” भी महिला जिला चिकित्सालय की नवागंतुक अधिकारी मैडम को उनके आने से पहले ही फोन करके उनका कुछ ज्यादा ही हाल चाल ले रहे थे । पता चला है कि मैडम ने बड़े भैय्या को उनकी औकात समझाते हुए, आईन्दा फोन करने पर उनपर आने वाली महादशा के बारे में उन्हें बताते हुए अच्छी तरह से चेता दिया है । इसका भी कारण यही है कि “बड़े भैय्या” के कारनामो की कुंडली भी पहले ही नवागंतुक महिला अधिकारी तक पहुंचाई जा चुकी है । बड़े भैय्या के रिटायरमेंट में अभी लगभग साल भर बचा है लेकिन उनपर भी ऐसी जाँच खुली है कि बड़े भैय्या “पानी और पनाह” दोनो मांगते फिर रहे हैं ।

फ़िलहाल बड़े भैय्या इस कसरत जुगाड़ में लगे हैं कि उनका जाँच अधिकारी गोरखपुर से कहीं दूर बैठे किसी अधिकारी को बना दिया जाए ताकि जाँच कागजों का बहाना लेकर जाँच लटकती रहे और तब तक ये रिटायर हो जाएं । लेकिन ऐसा कुछ होने के आसार इसलिए नही दिख रहे हैं क्योंकि बड़े भैय्या के खिलाफ शिकायतकर्ता ने जाँच शुरू होते ही इस मामले का रायता “शासन से लेकर सुप्रीम कोर्ट” तक फैला दिया है । शायद इसीलिए लखनऊ में बैठे जो लोग अबतक बड़े भैय्या के कर्मकांडों को छिपाने में लगे थे..अब उन्ही लोगों ने अपने हाथ पीछे खींचने शुरू कर दिए हैं । अब ये ठाकुर साहब और बड़े भैय्या कौन हैं ये तो आपलोग समझें… फिलहाल तो एक ऐसी इंक्वायरी के एफीडेविट हाथ आये हैं जिसे देखकर लगता है कि कुछ बड़ा ही “संगीन” होने को है !

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