ऐसा लगता है जैसे, गोरखपुर प्रेस क्लब की पत्रकारिता का ट्रेंड अब बदल चुका है । खबरों को खबरदार करने वालों की कानाफूसी बता रही है कि यहाँ पत्रकारिता का ट्रेंड अब माइक से होते हुए मुँह तक, और मुँह से होते हुए मुक्के तक पहुँच गया है । अब तो प्रेस क्लब की बैठकों में जब तक गाली,मुक्का,लात,थप्पड़ और घूंसा ना चल जाए तब तक यही मानकर चलो कि पत्रकारिता, प्रेस क्लब और पत्रकार बस नाम के रह गए हैं । हालात तो यह हो चले हैं कि इन बैठकों में अब वरिष्ठ पत्रकार लोग हेलमेट पहन कर आना शुरू कर चुके हैं …“सुरक्षा पहले, पत्रकारिता बाद में”
मेरा निजी विचार यह है कि प्रेस क्लब की अगली बैठक का इंतजाम किसी अखाड़े या कुश्ती स्थल पर किया जाए ताकि लात,जूता, मुक्का के साथ ही “गरिया और धकिया” को भी उचित मंच मिल सके । कल की बैठक में वरिष्ठों और गरिष्ठों दोनों ने बड़ी बेहतरीन भूमिका निभाई है । “तुम कौन होते हो… बोलने वाले ?” से शुरू हुआ संवाद “तुझे अभी बताता हूँ” तक होते हुए कुछ ही देर में मतरिया बहिनिया तक पहुँच गया । माहौल थोड़ा सा और गर्म होता तो कल गोरखपुर प्रेस क्लब की बैठक के बाद पुलिस को प्रेस नोट की बजाय मेडिकल रिपोर्ट बनवानी पड़ती ।
बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले में जहालत की पटकथा तो एक दिन पहले ही तैयार कर ली गई थी । एक पढ़े-लिखे पत्रकार महोदय उस पतित पत्रकार से समझदारी की उम्मीद कर बैठे थे जो अपने अतीत में सेवई बेचने के दौरान अपने ग्राहकों से भी तमीज से बात नहीं करता था । गोरखपुर प्रेस क्लब की पारखी नजरें जब पत्रकारिता के नगीनों को चुन चुन कर अपने यहां जगह दे रही थी, तब उसी दरम्यान “सेवई का अतीत” संजोए पत्रकारिता का यह नगीना प्रेस क्लब के हाथ लगा था । बस उसके बाद से तो ऐसे परफ्यूम की खुशबू प्रेस क्लब के माहौल में बसाने लगी, जिसमें इलायची दूध के साथ ही हल्की चीनी की सुगंध भी घुली हुई थी । आज दूध सेवई इलायची और चीनी के इस मिश्रण को प्रेस क्लब का KAT..✂️ गैंग कहा जा रहा है । बताया जाता है कि इस गैंग का टावर एक दरगाह से कनेक्टेड है और उसी दरगाह से यह गैंग ऑपरेट भी होता है । अपने सेवई का अतीत संजोए इस पत्रकारी नगीने से यदि गाय पर निबंध लिखने को कह दो तो यह आंखें तरेर कर बोलता है….
गाय इज अ नॉन वायलेंट एनिमल.. एंड गाय इज एनिमल ऑफ पवित्रनेस…. इट्स लाइक माधर.. एंड इट इज इन माय हार्ट बाय डिफ़ॉल्ट…आँय.. बाँय.. साँय..
इस निबंध को देखकर ऐसा लगता है जैसे कोई गैलेक्सी चॉकलेट पर कविता सुना रहा हो । बहरहाल यह सेवई पत्रकार और इसका KAT..✂️ गैंग इतनी ज्यादा बहुमुखी प्रतिभाओं से लैस तथा तिरिया चरित्तर का धनी है कि इनकी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा फर्जी मुक़दमों के आड़ में की जाने वाली वसूली से ही इकट्ठा हो जाता है । वैसे आजकल इस KAT..✂️ गैंग का नया निशाना औऱ अड्डा कालेसर स्थित आर.टी.ओ. कैंपस बना हुआ है ।
कल की बैठक वाली गहमा गहमी अभी खत्म भी नही हुई थी कि आज एक गैंगेस्टर द्वारा बुलाई गई पीसी में भी पत्रकारों के बीच जमकर लात जूते और कुर्सियाँ चल गयी । गैंगेस्टर की पीसी में गैंगवार की ख़बर सुनकर बाकी पत्रकार भी घटनास्थल की ओर लपके लेकिन फ़िलहाल मामला तहरीर तक सीमित होकर रह गया है । सबसे ज्यादा बुरा हाल तो उन पत्रकारों का है जो पिछले कई महीनों से पत्रकारिता में अपना अनुभव बीस बीस साल का बताते हुए दुहाई देते फिर रहे हैं और मालुमात के नाम पर कुछ पूछ लो तो आँय…बाँय..साँय.. बकना शुरू कर दे रहे हैं ।
प्रेस क्लब में हुए बवाल के बाद..प्रेस क्लब के ग्रुप में हुई चैटिंग का स्क्रीनशॉट देखने के लिए नीचे लिखे “स्क्रीनशॉट” पर क्लिक करें ।