रामबुझावन कहिन कि “गोरखपुर में कुछ ‘खास किस्म’ के पत्रकार इन दिनों बड़ा परेशान हैं…क्यों ? क्योंकि एक आदमी है जो ना बिकता है, और ना झुकता है, और ना ही ‘कॉपी पेस्ट’ पत्रकारिता करता है !”
तभी सेवई ब्रांड पत्रकार पहुँचे और तपाक से बोले कि “‘अब्बे तो उसके खिलाफ खबर लिखे हैं ..तुमको का मालूम ? ससुरा हिस्ट्रीशीटर है ! कई गो मुकदमा लिखा है ओकरा पर !
रामबुझावन : लेकिन भैया कउनो मुक़दमवा में कुछो मिलल नाही अबले ओकरे खिलाफ !
पत्रकार डफर जान : (जान) इनका तखल्लुस है ! चुप एकदम ! दिमाग मत खराब करो रामबुझावन ! डांग पे लात मारता तो छोड़ देते..ससुरे ने पेट पे लात मार दिया है ..सुने है कि दरगाह पर बाहर से आने वाले मेहमान तक खबर पहुँच गयी है । उनका आना निरस्त हो सकता है,
तभी “अमावस की रात के टुकड़े” का आगमन होता है और कुत्ता अचानक रोने लगता है ! ऊँ…….ऊं… ऊँ…! भइया, सोशल मीडिया में पूरा खबरिया छितरा दिए हैं..एक दम कॉपी पेस्ट मार मार के रंग दिए हैं ! लेकिन भइया.. रिजवी साहब हमको निकाल बाहर काहे कर दिए ? समझ मे नही आया !
तभी इनकार मियाँ का आगमन होता है – तुम लोग ठीक से एक बात समझ लो ! पिस्टल हमरा भले जमा हो जाये लेकिन पासपोर्ट नही निरस्त होना चाहिए ..सारा कांड करके दुबई में करोड़ों रुपया इन्वेस्ट किये हैं जमीन के धंधे में ..पासपोर्ट निरस्त हुआ तो सब डूब जाएगा और देश छोड़ के भाग भी नही पायेंगे । और तुम मोबाइल में का देख रहे हो बे रामबुझावन ?
रामबुझावन : अरे इनकार भैया देखित हैं कि आपलोग लतेन्दर शर्मा लिखे हैं ! कहीं अब उ दौड़ा दौड़ा के आप लोगन के लतियावे न लगे ? और देखित हैं कि ससुरा इतना नाम कर दिएस है पत्रकारिता में..कि ओकरे बारे में गूगल, ए.आई. और चैट जीपीटी सब ओके महान पत्रकार बतावत हवे । और तोहन लोगन के खोजत हई..त ससुरा नॉट ऑप्शन बतावत बा !
सेवई पत्रकार, डफर जान, अमावस की काली रात और इनकार अहमद इतना सुनते ही सदमे में… दिखाओ..दिखाओ ! साला ई तो एकदम से ब्लन्डर हो गया ! सब मेहनत पर पानी फिर गया….
रामबुझावन : ए भैया..हम चलत हई..हमारे बाबूजी एगो कहावत हमसे पूछले रहले ! कि चलत राह में गेंहुवन और भूमिहार दुनो एक साथ देखि ल… त पहले केकरा मुअइबे ? हम कहली पहिले गेहूवन मुआइब ..मरलन तबराक और कहलें कि ससुर भूमिहार पहले मुआवल जाला ..बूझला कि नाही कुछो ?