गोरखपुर : मैं भी इंसान हूँ…मेरे अंदर भी भावनाएं हैं और मुझे भी किसी की तकलीफ देखकर तकलीफ होती है, इसलिए आज ठाकुर साहब की स्थिति देखकर मुझे भी बड़ी तकलीफ हो रही है । जिनके बहकावे में आकर ठाकुर साहब अपने आप को लंकाधीश समझ बैठे थे, आज उन्ही लोगों ने ठाकुर साहब को चपरासी से भी नीचे की स्थिति में लाकर छोड़ दिया है ।
बताया गया है कि “ठाकुर साहब” पर इंक्वायरी शुरू होने के बाद से ठाकुर साहब के “बड़े भैय्या” और जिला अस्पताल के “शेषनाग” दोनो ने मिलकर ठाकुर साहब को जमकर लूटा । पता चला है कि इंक्वायरी से बचाने से लेकर सीएमओ की कुर्सी दिलवाने के नाम पर ठाकुर साहब को साथ लिए लखनऊ तक इनदोनो ने खूब दौड़ लगाई गयी, और इस दौरान ठाकुर साहब से विभिन्न मदों में एक करोड़ से भी ज्यादा रुपये फलाने चिलाने को देने के नाम पर डकार लिए गए ।
पता चला है कि इंक्वायरी शुरू होते ही जिला अस्पताल में बैठे “शेषनाग” को ठाकुर साहब ने डर के मारे अपने घर मे रखे 20 लाख रुपये नगद संभाल कर रखने के लिए दिए थे । लेकिन ठाकुर साहब रुपये वापस मांगते उससे पहले ही “शेषनाग” ने कह दिया कि रुपये चोरी हो गए । ठाकुर साहब ने एक बार तो पुलिस में जाने का मन बनाया लेकिन जाँच के डर ने उनका मुँह बंद कर दिया ।
आज ठाकुर साहब अकेले अकेले अक्सर लखनऊ के गलियों की खाक छान रहे हैं ताकि उनके रुपये वापस मिल जाएं…लेकिन जिस तरह सूद का धन शैतान खा जाता है ठीक उसी तरह ठाकुर साहब का काला धन बिचौलिए डकार चुके हैं । अंदरखाने से पता चला है कि ठाकुर साहब को बिचौलियों ने जवाब दिया है कि “अभी तक जेल नही गए हो इतना ही बहुत है..समझ लो उसी बचाव में तुम्हारे रुपये लग गए” !
आपको मैंने चेताया था “ठाकुर साहब” कि मुझे चोरों से उतनी नफरत नही है.. जितना उनसे है, जो चोर के साथ सीनाज़ोर भी हैं !