“पाकिस्तान मुर्दाबाद” बोलने से हिचकने वाले “चिश्ती साहब” को..”फलीस्तीन जिंदाबाद” बोलने वाले एक दो टके के गुंडे के साथ रोड शो करने में कोई हिचक नही है…ऐसा क्यों ?

पहलगाम में आतंकियों ने 27 लोगों की लाशें बिछा दी..इसलिए देश से लेकर विदेश तक पाकिस्तान की जमकर मज्जम्मत चल रही है । इसी दरम्यान जनाब सलमान चिश्ती साहब गोरखपुर में शहीद मुबारक ख़ाँ की दरगाह पर चादरपोशी के लिए आये हुए हैं । लेकिन वर्तमान हालात पर जब एक पत्रकार ने “सलमान चिश्ती”/साहब से पाकिस्तान मुर्दाबाद कहने के लिए कहा.. तो “चिश्ती साहब” अचानक “चिश्ती से सियासी” बन गए । इस संबंध में सवाल पूछने वाले पत्रकार ने एक छोटी सी वीडियो अपने फेसबुक वाल पर शेयर की है । अब सवाल यह उठता है कि “पाकिस्तान मुर्दाबाद कहने में हिचक क्यों, है जनाब ?”

आजकल एक बड़ा दिलचस्प ट्रेंड चला है —मंच से पूछो किसी सियासी या मजहबी मुस्लिम नेता से : “पाकिस्तान मुर्दाबाद कहिए !” तो जवाब आता है कि “हम तो हर देश के दुश्मन के खिलाफ हैं…या फिर जवाब आएगा कि “हम नफरत की राजनीति नहीं करते…” कभी-कभी तो बात घुमा के ‘अमन’ और ‘इंसानियत’ की हो जाती है —मतलब “पाकिस्तान मुर्दाबाद” न कहना भी अब एक प्रकार की सियासी तहज़ीब बन गई है । पर सवाल ये है कि— आखिर क्यों नहीं कह पाते साफ-साफ : “पाकिस्तान मुर्दाबाद ?”

क्योंकि डर है कि कहीं “सांप्रदायिक” न कहलाएं ! कहीं अपनी ही कौम की कुछ आँखें हमे तरेरने न लग जाएं ! कहीं मजहब की आड़ में समेटा जानेवाला “वोट बैंक”‘ न फिसल जाए ! और ये डर आज आज़ादी के 75 साल बाद भी कायम है ! जबकि पाकिस्तान खुलेआम नफरत उगलता है, आतंक भेजता है, साजिशें रचता है,फिर भी उसके खिलाफ “पाकिस्तान मुर्दाबाद” बोला जाए तो “राजनीतिक संतुलन” बिगड़ जाता है ।

गज़ब की बात है —कुछ लोगों को यहाँ भारत माता की जय बोलने में ऐतराज होता है …वंदे मातरम् पर मुख़ालफ़त होती है लेकिन “पाकिस्तान मुर्दाबाद” बोलने में साँप सूंघ जाता है । “पाकिस्तान मुर्दाबाद” कहने से किनारा करने वाले ये वही चिश्ती साहब हैं जो एक तरफ मंच पर आकर संविधान की दुहाई देते हुए वक्फ़ एक्ट की सराहना करते हैं.. मोदी के साथ फोटो खिंचवाते हैं..देश की एकता की बातें करते हैं.. और दूसरी तरफ “फलीस्तीन जिंदाबाद” के नारे लगाने वाले गोरखपुर के एक दो टके के गुंडे के साथ चादरपोशी के बहाने रोड शो पर निकल पड़ते हैं ।

जब दुश्मन देश को दो शब्द सुनाने की बात आती है —तो गला बैठ जाता है, जुबान में ‘शिष्टाचार’ आ जाता है और बयान ‘कूटनीतिक’ हो जाता है । भाई, साफ बात कहिए —अगर आप सच में भारत के साथ हैं, तो पाकिस्तान के खिलाफ खड़े रहिए । और अगर नहीं कह सकते “पाकिस्तान मुर्दाबाद”, तो फिर ये न कहिए कि आप “देश के हर दुश्मन के खिलाफ हैं” —क्योंकि 27 लाशें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने गिराई हैं..किसी और दुश्मन देश ने नहीं ! सबसे बड़ा दुश्मन तो सामने खड़ा है चिश्ती साहब, फिर ये सियासी ड्रामा कैसा और नाम लेकर कोसने में हिचक कैसी ? कहिए ना “पाकिस्तान मुर्दाबाद” ! या फिर उतार फेंकिये अपने इस मुखौटे और चोले को, जिसे लगाए आप हिंदुस्तान की आवाम को धोखा दे रहे हैं ।

खुद सवाल पूछने वाले पत्रकार द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई वीडियो देखने के लिए नीचे क्लिक करें…

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