भारतीय फौज को “आपरेशन सिंदूर” की बधाई । लाशें बिछाने के बाद पढ़ रहे थे कलमा…लेकिन मिसाइलों ने बना दिया उन्हें 72 हूरों का बलमा !

मो. जमशेद जिद्दी ( संपादक )

भारत की सेना को को हमारा सलाम और भारत सरकार को बधाई ! आतंक के विरुद्ध भारत का “ऑपरेशन सिंदूर” सफल
रहा है । भारतीय सेना ने देर रात भीषण एयरस्ट्राइक में 100 किमी तक भीतर घुसकर पाकिस्तान और पीओके में लश्कर और जैश के हेडक्वार्टर समेत आतंक के 9 अड्डों को तबाह कर दिया और उनकी रक्षा में आए पाकिस्तान के एफ 16 व जेएफ 17 विमान को मार गिराया । इन हमलों में कितने आतंकी मारे गए अभी इसका आकलन करना बाकी है । लेकिन अब हमें ध्यान रखना होगा कि अब हम युद्ध के मैदान में है । युद्ध सिर्फ सेना और सरकार नहीं लड़ती बल्कि उनके साथ पूरा देश लड़ता है । भारत की इस स्ट्राइक के बाद यह तय हो चुका है कि आज हुई मॉक ड्रिल और रात में होने जा रही ब्लैक आउट फर्जी नहीं है । जंग की शुरुआत हो चुकी है । “ऑपरेशन सिंदूर” भारत का बहुत बड़ा और साहसिक कदम माना जा रहा है । पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकी ठिकानों को जिस बहादुरी से निशाना बनाया गया…और वह भी ऐसे हालात में, जब दोनों देशों की सेनाएं हाई एलर्ट पर हैं ।

ये आसान काम नहीं था । अभी तो शुरुआती जानकारी आ रही है कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल साहब ने अमेरिका में बड़े अधिकारियों को ब्रीफ किया है । ज़ाहिर है, अब पूरा प्रेशर पाकिस्तान पर होगा । वहां की आवाम का भी और विश्व के दूसरे देशों का भी । एक तरफ पाकिस्तानी आवाम मदहोशी और उन्माद में जवाबी कार्रवाई चाहेगी और दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बिरादरी पाकिस्तान से संयम की अपील करेगा । अमेरिका का रोल इसमें क्रिटिकल होगा, क्योंकि दूसरी तरफ चीन और रूस का डर कायम है । डर है कि भारत पाकिस्तान की ये लड़ाई दुनिया की तीन महाशक्तियों के आपसी अहंकार की लड़ाई ना बन जाए । ज़ाहिर है अमेरिका किसी भी सूरत में इसे जंग में तब्दील नहीं होने देना चाहेगा लेकिन चीन को इसी मौके की तलाश थी और इस बार उसका रुख बहुत कुछ निर्धारित करेगा ।

यूक्रेन मामले पर अमेरिका से नाराज़ रूस का रवैया भी आगे की दिशा तय करेगा । इसलिए अब ये संघर्ष दो देशों के बीच का संघर्ष नहीं रह गया है । बाकी होने को तो कुछ भी हो सकता है । ये भी हो सकता है कि पाकिस्तान को डरा धमका कर और समझा बुझाकर मामला शांत कर दिया जाए लेकिन वहां के सैनिक निजाम का रुख इस बार बहुत आक्रामक है । सो फ़िलहाल कुछ भी कह पाना मुश्किल है । जब नागरिक हमले के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पे अपलोड करने लगें तो जंग सिर्फ जंग न होकर उन्मादी जुनून बन जाता है और भावनाओं के ज्वार में डूबी हुई हिंसा में तब्दील हो जाता है । युद्ध सिर्फ सरहद पर नहीं लड़ा जाता, वह हमारे दिमाग में, हमारी दिनचर्या में, हमारे शहरों की रफ्तार में भी लड़ा जाता है । जब सीमा पर बंदूकें गरजती हैं, तब सिर्फ सैनिक ही नहीं, पूरे देश का मानसिक संतुलन, जीवनशैली और नागरिक चेतना हिचकोले खाने लगती है । अफसोस, यह है कि युद्ध की घोषणा होते ही सबसे पहले वही मोर्चा संभालते हैं, जो ड्राइंग रूम में आरामकुर्सी पर बैठे हुए गला फाड़कर, टीवी स्क्रीन पर ही सबसे पहले युद्ध जीत लेते हैं ।

ये नादान, ये नही जानते कि आज के दौर में मिसाइलें हजारों किलोमीटर दूर तक मार कर सकती हैं । दुश्मन को हमारे शहर की हर हरकत की जानकारी सैटेलाइट से मिल सकती है । यदि ऐसे समय मे, दिल्ली जैसे बड़े शहर में यदि रात में ब्लैक आउट नही हुआ, तो ये राष्ट्रभक्ति होगी या आत्महत्या की तैयारी ? युद्ध का मतलब सिर्फ बारूद नहीं बल्कि युद्ध का मतलब रणनीति होती है…और रणनीति का पहला नियम है…अदृश्य रहो । युद्ध के उन्माद में पगलाए लोगों को अब घरों, दफ्तरों, बाजारों-हर जगह- अंधेरे में रहना सीखना होगा । ध्यान रखना होगा कि युद्ध की स्थिति में बिजली सबसे पहले जाती है । जो अभी इसकी आदत नहीं डालेंगे, वे वक्त आने पर घबरा जाएंगे । इसलिए याद रखना होगा कि युद्ध की तैयारी सिर्फ सीमा पर बंकर बनाने से नहीं होती बल्कि युद्ध की तैयारी शहर के अंदरूनी जीवन को सैन्य अनुशासन के अनुरूप ढालने से होती है । अब रेडियो सुनने की आदत डालिये क्योंकि युद्ध की स्थिति में मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सबसे पहले ठप होंगे । ड्राइंग रूम में बैठकर युद्ध की उन्मादी हुंकार भरने वालों को यह याद रखना चाहिए कि युद्ध में सिर्फ सैनिकों का खून नहीं बहता, अस्पतालों की बिजली जाती है, नवजात शिशुओं की ऑक्सीजन रुक जाती है, बुजुर्गों की दवा बंद हो जाती है ।

युद्ध को सिर्फ राष्ट्र नही भुगतता बल्कि असल मायने में युद्ध को जनता ही भुगतती है । इसलिए यदि युद्ध चाहिए, तो उसकी कीमत चुकाने की तैयारी भी रखिये । कम खाओ और पेट काटकर राशन संरक्षित करो..बगैर बिजली और साधन के जीने की कला सीखो और साथ ही पानी सहेजने की भी आदत डालो । जागरूकता फैलाओ ताकि लोग जानें कि धमाके के बाद कैसे बचा जाता है और जहर फैलने पर क्या करना है, या फिर गैस हमले से कैसे बचना है । देशभक्ति का नशा तो उत्तम है लेकिन युद्ध का उन्माद चढ़ाने से पहले यह तय कर लो कि तुम सिर्फ बोलना चाहते हो या युद्ध भुगतने के लिए भी तैयार हो । क्योंकि युद्ध में सिर्फ बंदूकें नहीं टूटतीं, पूरे समाज की रीढ़ टूटती है । अभी से अभ्यास शुरू करो…अभ्यास अंधेरे का..अभ्यास भूख प्यास का…अभ्यास डर और अनुशासन का । क्योंकि यही असली युद्ध है ! बोलो, आतंकवाद का नाश हो !

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