गोरखपुर : एक्सपर्ट्स बताते हैं कि नौकरशाही में सीनियर्स का दबाव गलत एम्पायरिंग जैसा होता है..जिस दिन ये दबाव हट गया.. उस दिन हरामखोरी से लेकर भ्रष्टाचार सब कुछ अपने आप सही हो जाएगा ।भ्रष्ट व्यवस्था का आतंक ऐसा है कि सरकार चाहे खजाने का मुँह खोल दे या रुपयों से भरी बोरियों के मुँह खोल दे.. लेकिन जनता जनार्दन के भाग्य में हमेशा चुसे हुए आम की गुठली ही चस्पा होती है ।
कुछ ऐसा ही हाल जिला महिला चिकित्सालय गोरखपुर का भी है । बताया जाता है कि भ्रष्टाचार का दोषी करार दिये जाने के बाद भी पिछले 25 सालों से कुंडली मारे बैठा एक महाभ्रष्ट लैब तकनीशियन ने अपनी शागिर्दी में जिला महिला चिकित्सालय गोरखपुर को लूट खसोट और डकैती का अड्डा बना दिया है । जिला महिला चिकित्सालय गोरखपुर में रिश्वतखोरी प्रकरण का एक नया वीडियो भी आजकल सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है । कहने को तो सरकार ने महिला जिला चिकित्सालय गोरखपुर में मरीज़ों के आपरेशन इलाज से लेकर भोजन आदि तक की सभी सुविधाए चकाचक कर रखी है.. लेकिन जन्म जन्मांतर के भूखे, नंगे और रिश्वतखोरों के हाथों में दी जा चुकी यहाँ की व्यवस्था का आलम यह है कि… यहाँ इलाज कराने वाला आम से लेकर खास, कोई भी बख्शा नही जाता है ।
पिछले दिनों गोरखपुर के साहित्यकार और शायर कहे जाने वाले “मिन्नत गोरखपुरी” भी जब अपनी पत्नी का प्रसव कराने यहां पहुँचे… तो “रिश्वतखोरी की माया”और इस माया की “चांडाल चौकड़ी” ने उन्हें भी लूट लिया । यहाँ के “पुराने महाघाघ” अधीक्षक साहब जब यहाँ से विदा हुए, तो नई मैडम ने पदभार संभाला लेकिन मैडम को एक्टिव देख रिश्वतखोरों के माथे पर बल पड़ना शुरू हो गया । इसलिए सबसे पहले मैडम को निहत्था करने की योजना बनाई गयी ।
इस योजना के तहत डॉ कमलेश ने मैडम को पट्टी पढ़ाते हुए मैडम का सीयूजी मोबाइल अपने कब्जे में लिया और सीयूजी पर आने वाली तमाम शिकायतों को अपनी मंडली के सदस्यों के अनुसार ही लपेटना शुरू कर दिया । आपको जानकर हैरान होने की जरूरत नही है कि सीयूजी को लेकर शासन तथा सरकार द्वारा जारी की गई व्यवस्था का घंटा यहाँ इस कदर हिला दिया गया है… की घंटा भी अब यहाँ के गुरुघंटालों के सामने नतमस्तक हो चला है । जिला महिला अस्पताल गोरखपुर में कार्यरत रिश्वतखोरों की “चांडाल चौकड़ी” ने यहाँ की पूरी की पूरी व्यवस्था को कोलैप्स कर दिया है… औऱ जब इतने से भी मन नही भरा तो अब सरकारी व्यवस्था की “मतरिया बहिनिया” करते हुए यहाँ वसूली व्यवस्था का एकछत्र साम्राज्य स्थापित कर दिया गया ।
मैडम का सीयूजी नंबर अब 24 घंटे डॉ साहब के पास ही रहता है । डॉ साहब ने मैडम को बता रखा है कि अस्पताल का सीयूजी नंबर हमेशा से उन्ही के पास रखे रहने की परंपरा रही है.. इसलिए इस नंबर को उन्ही के पास ही रहने दिया जाए । अब फोन आने पर डॉ साहब ही डिसाइड करते हैं कि किस प्रकरण से मैडम को अवगत कराना है और किस प्रकरण से नहीं ! इसलिए अब मुफ़्तख़ोरी की आस लिए जिला महिला चिकित्सालय में इलाज कराने की सोंचिये भी मत ! क्योंकि यहाँ पर आपसे बड़े और भयानक मुफ्तखोर पहले से ही मौजूद हैं ।
बस ईश्वर के न्याय का इंतजार कीजिये, और याद रखिये कि आपकी तकलीफ और आपके दर्द से रिश्वतखोरी और हराम की कमाई घोंटने वाले व्यवस्था के इन हिरणकश्यपों का कोई वास्ता नही है…न तो इन रिश्वतखोरों की भूख कभी कम होगी और न ही इनका दुख दर्द कभी खत्म होगा..ये ऐसे ही हराम की घोंटते- घोंटते और कलपते तड़पते हुए मर जायेंगे !
जब डॉ कमलेश से सीयूजी नंबर की कहानी को लेकर सवाल पूछे गए तो डॉ साहब क्या… आँय..बाँय..साँय बक रहे हैं… सुने ऑडियो !