गोरखपुर : गोरखपुर के गली मोहल्लों में पत्रकारिता के नाम पर दलाली का रंग चटकाने वाले एक वर्ग विशेष के चाटुकारों के चेहरे पर आजकल हवाईयां उड़ रही हैं । कारण यह है कि अपनी बेशर्मी और बेहयाई में इन जाहिलों ने कानून को अपने हाथ मे लेने की भयंकर भूल कर दी थी.. और वो भी उस शख्स के साथ..जिसके बारे में यह कहा जाता है कि ..उसकी रगों में जब हवा भी कानून रूपी ऑक्सीजन बनकर बहती है…तभी वह सांस भी लेता है ।
हाल ही में इन दलालों और सत्यभ्रष्टों’ ने वक्फ़ जमीनों की दलाली के पहरेदार के रूप में झूठी खबर का एक जहरीला तीर चलाया था । फर्जी लिंक बनाई, फर्जी अफवाह उड़ाई—जैसे सच को मिटा देंगे तो झूठ राजा बन जाएगा ! पर जब सच्चाई ने ढाई करोड़ की मानहानि का आईना दिखाया, तब ये महान “खबरी” डर के मारे चूहे बन गए और चूहों ने अपना फैलाया और बनाया हुआ फेंक लिंक खुद ही चबाना शुरू कर दिया । जो कल तक माइक पकड़े भेड़िए की खाल मे शेर बनते थे, आज ढाई करोड़ की नोटिस देखकर बिलों में छुप गए हैं । अब क्या हुआ ‘बोलने की आज़ादी’ का नारा लगाने वाले दलालों ? अब ये दलाल कोर्ट के सामने कहेंगे कि “वो लिंक गलती से लग गई थी…” हाँ ठीक वैसे ही जैसे चोर कहे कि – “तिजोरी अपने आप खुल गई थी !” लगता है इन दलालों ने इतिहास से सबक नही सीखा । क्योंकि लगभग चार साल पहले एक ऐसी ही गलती करने वाले धनकुबेर का अहंकार कुछ इस कदर जमींदोज कर दिया गया था कि उसे अपने घर के जेवर और गाड़ी तक गिरवी रखने पड़ गए थे ।
दलाली की दलदल में लोटते इन नकली पत्रकारों को अब समझ आ गया होगा कि झूठ पर बना महल कागज़ का होता है – और सच्चाई की आंधी उसे बहा ले जाती है । पता चला है कि अपनी मक्कारी को अंजाम देने के लिए इन दलालों ने अबुलैश अंसारी नाम के शख्स को पाँच हजार रुपये देकर हायर किया और पत्रकार को अपराधी बताते हुए “सिटी अपडेट डॉट इन” वेबसाइट पर इस फर्जी अफवाह की न्यूज़ लिंक लगवाने का सौदा कर लिया । वास्तविकता से अनजान अबुलैश अंसारी ने पैसे की लालच में वो आफत मोल ले ली जिसका अंदाजा उसे अब हुआ है । अबुलैश के साथ ही “सिटी अपडेट डॉट कॉम” के मालिकान माफी के लिए नाक रगड़कर गिड़गिड़ाना शुरू कर चुके है । व्हाट्सएप्प में फैलाये गए खबरों को तो नोटिस के बाद ही हर जगह से डिलीट मार दिया गया था लेकिन अब खबर की लिंक को भी आनन फानन में डिलीट मार दिया गया है… लेकिन यहां तो फंडा ही दूसरा है.. “छेड़ दिया है तो छोड़ेंगे नही !”
“दलाली की चुप्पी के साथ ही ऊपर दिख रहा डर का लिंक अब डिलीट हो चुका है । कभी पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता था, पर अब सेवई बेचने वाले दलाल पत्रकारिता को जमीन की दलाली में गिरवी रखकर उस दलाली की दलदल में रोजाना नहा रहे हैं । इनका काम अब खबर देना नहीं, खबर बनाना है—वो भी झूठी, मनगढ़ंत और साजिशन । इन ‘माइक्रोफोन वीरों’ ने चोरी और सीनाजोरी की मिशाल पेश करते हुए उस पत्रकार के खिलाफ साजिश कर दी, जिसके खिलाफ “मीलॉर्ड” द्वारा की गयी साजिश भी आजतक सफल नही हो सकी । उस शख्स के खिलाफ साजिश कर दी गयी जिसके जीवन मे मक्कारी के विरुद्ध लड़ाई के अलावा और कोई मकसद बचा ही नहीं है ।
ऊपर दिए गए एक फर्जी लिंक के जरिये एक झूठा नेरेटिव तैयार कर खूब जहर फैलाया गया ..लेकिन जब ढाई करोड़ की मानहानि का नोटिस हाथ मे मिला तो और घर के बर्तन बिकने की संभावना दिखने लगी तो सारा दलाली का गुब्बारा फूट गया । जो कल तक ‘share’ कर रहे थे, आज ‘Link not found’ का बहाना बना रहे हैं । डर के मारे लिंक ऐसे हटाई गई, जैसे अपराधी सबूत मिटाता है । बिना सबूत के ये दलाल “अभिव्यक्ति की आज़ादी” के नाम पर ऐसे ही झूठ का झंडा तब तक लहराते हैं… जब तक इनके झूठ का कोई जवाब न दे। पर जब सच्चाई की कलम के साथ कानून की तलवार भी उठ जाती है..तब इन जैसे रेट कार्ड लेकर घूमने वाले पत्रकारिता के दलालों को और इनके रेट कार्ड वाले माइक को नंगा कर देती है ।
तुम्हे ये याद रखना होगा –कि पत्रकारिता की आड़ में तुम लोगों द्वारा की गई यह मक्कारी….निश्चित तौर पर तुम्हारी दलाल पत्रकारिता का अंतिम सेसन साबित होगी… क्योंकि इस बार सच सिर्फ ज़ोर से लौटेगा ही नही बल्कि – कानून के डंडे के साथ गूंजेगा भी ! यह भी पता चला है कि पत्रकारिता मे दलाली के अध्याय के समापन को महसूस करते हुए तुम दलाल लोग लॉ की डिग्री हासिल करने के लिए लॉ कॉलेज में रेगुलर एडमिशन ले चुके हो । लेकिन सवाल यह उठता है कि लॉ में एडमिशन लेने के बाद भी जब दिनभर तुमलोग माइक लिए दलाली ही करते फिर रहे हो.. तो फिर तुमलोग क्लास करने कब जाते हो.. बे ? कहीं ऐसा न हो कि तुम दलालों के चक्कर मे उस लॉ कॉलेज की मान्यता ही खटाई में पड़ जाए जिसने तुम्हे एडमिशन दिया है । वैसे खटाई डालने का काम कर दिया गया है और साथ ही बार कौंसिल के जनरल बॉडी को प्रमाण भेजे जा रहे हैं । जरूरत पड़ी तो तुम जैसे होनहार छात्रों को उदाहरण बनाते हुए इसे हाइकोर्ट के सामने भी रख दिया जाएगा । चंद लाइने है तुमलोगों के सम्मान में.. बिल्कुल ताजा- ताजा निकली है !
फर्जी लिंक से उड़ाई अफवाहों की धूल…..और सच को बनाने चले थे फिजूल ।
जब सच ने उठाया कानून का हथियार…..तब ढाई करोड़ का नोटिस बन गया काल का द्वार !
माइक से गरजने वाले अब क्यों चुप हैं भला…. अब डिलीट हो गई वो लिंक जो कल तक थी जलजला ?
बोलो ना ‘दलाल पत्रकारों’, अब क्यों कांपते हो डर से…..जंग छिड़ने पर क्यों हो भाग रहे हो घर से ?
अब न फर्जी टीआरपी बचेगी, न वो झूठी उड़ान…हर दलाल को खुद ही मिटानी होगी अपनी पहचान !
कल तक तुम बिके थे, पर अब मिटोगे अपनी पहचान से….
इतिहास भी थूकेगा तुम पर, पत्रकारिता के नाम से !