गाजीपुर : गाजीपुर जिले के करण्डा ब्लॉक से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने शिक्षा विभाग में चल रहे वसूली नेटवर्क की पोल खोल दी है । जानकारी के अनुसार खंड शिक्षा अधिकारी रविन्द्र सिंह पटेल, पर विभागीय जिम्मेदारी निभाने का दायित्व है, परंतु अब वे खुद रिश्वत लेकर बाल्य देखभाल अवकाश (CCL) स्वीकृत करने के आरोपी बन चुके हैं । अब करण्डा में छुट्टियाँ अधिकार क्षेत्र की बात नही रख गयी है बल्कि अब यह सौदा बन चुकी हैं — और सौदे के सौदागर है खुद एबीएसए!
“ऐसा दागी एबीएसए–जो नियमों को अपनी जेब में रखता है”
शासन के नियम स्पष्ट हैं और यह नियम कहते हैं कि शिक्षिका द्वारा CCL का आवेदन प्रधानाध्यापक के माध्यम से खंड शिक्षा अधिकारी तक जाता है और वहां से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) को अंतिम अनुमति के लिए भेजा जाता है । लेकिन करण्डा के दागी एबीएसए ने इस नियम पर अपने स्वार्थपूर्ति का नियम थोपते हुए खुद ही छुट्टी स्वीकृत कर डाली है — वो भी तब, जब हराम की रिश्वत इनके हाथों में पहुंची !
बताया गया है कि 20 जनवरी को एक शिक्षिका ने CCL के लिए आवेदन किया। पहले तो श्रीमान पटेल ने परीक्षा का बहाना बनाकर छुट्टी अस्वीकृत कर दी, लेकिन जब शिक्षिका ने “प्रस्ताव” रखा — यानि रिश्वत दी…..तब लहसुन प्याज तक छूने से एतराज रखने वाले “श्रीमान पटेल साहब” हराम की कमाई बगैर पानी के निगल गए और 22 जनवरी को उसी छुट्टी को अपने स्तर से स्वीकृत कर दिया।
स्थानीय शिक्षकों ने खुलकर बताया कि एबीएसए साहब का यह काफी पुराना धंधा है । पहले अवकाश खारिज किया जाता है..
फिर मोलभाव होता है, और अंत में पैसे लेकर स्वीकृति दी जाती है । यहाँ तक कहा गया कि एबीएसए खुद स्कूलों में पहुँचकर, महिला शिक्षिकाओं से ‘कैश-फॉर-लीव’ की मांग करते हैं ।
“किसके संरक्षण में पटेल साहब खेल रहे हैं (कैश फ़ॉर लीव) का खेल”
बीएसए हेमंत राव कहते हैं कि यह गंभीर गड़बड़ी है । जब इस अवैध स्वीकृति की जानकारी बीएसए हेमंत राव को मिली, तो उन्होंने स्पष्ट कहा – “CCL स्वीकृति का अधिकार सिर्फ बीएसए को है । परंतु प्रश्न यह उठता है बीएसए साहब, कि इतने दिनों से चल रहे इस खेल का पता अब तक आपको क्यों नही चला ? रिकॉर्ड में यह भी सामने आया कि दागी एबीएसए पटेल ने खुद ही छुट्टी मंजूर की है । बीएसए साहब कहते हैं कि मामले की गंभीरता को देखते हुए दो सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी गई है ।
“सिस्टम की बेहयाई से सदमे में हैं शिक्षिका”
पीड़ित शिक्षिका आज भी सदमे में है । उसका बयान हर संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर देगा । शिक्षिका की बेटी को बुखार था। उसने अफसर के सामने आपबीती बताई लेकिन उन्होंने कहा – “माल के बगैर दाल नही गलेगी” ! दूसरी तरफ प्रमाण सामने आने के बाद भी यदि, अब तक ऐसे दागी एबीएसए कुर्सी पर बने हुए हैं, तो तो कैसे कहा जाए कि यूपी में अपराधियों की जगह जेल में है ! जाहिर सी बात है कि जब शिक्षा की बागडोर दागियों और रिश्वतखोरों के हाथ में होगी, तब वहाँ पढ़ने वाले बच्चे भी रिश्वतखोरी की डिग्री ही लेकर बाहर निकलेंगे ।