गोरखपुर : आजकल उत्तर प्रदेश में एक अजीब-सी गतिविधि चल रही है। कुछ महानुभाव जो न बिजली की तार से जुड़े हैं और न तारक मेहता से… लेकिन खुद को बिजली विभाग का अधिकारी बताकर घर-घर घूम रहे हैं, और कहते हैं कि “भाई साहब, स्मार्ट मीटर लगवाइए…ये सरकार का आदेश है !” अब हमे तो सवाल पूछने की गंदी आदत है, सो पूछ बैठे, “भाई साहब, पहले पुराने मीटर के साथ एक महीने के लिए स्मार्ट मीटर जोड़ दो, दोनों का रीडिंग मैच करेगा तो बदलवा लेंगे।”
बस, यहीं पर वो स्मार्ट लोग, स्मार्ट मीटर समेत, एकदम गूंगे बहरे हो गए और बैक गियर मारकर ठीक वैसे ही चलते बने… जैसे गूगल मैप खुद ही रास्ता भटक गया हो !
मतलब समझिए —
अगर मीटर इतना स्मार्ट है, तो उसका टेस्ट लेने से डर क्यों ?
ये स्मार्ट मीटर है या कोई घोटाले का नया गेटवे ?
चूंकि अब स्मार्टनेस की परिभाषा बदल गई है…मसलन
स्मार्ट मीटर – जो बिना पूछे घर में घुस जाए !
स्मार्ट अफसर – जो बिना आईडी कार्ड और सरकारी लेटर के सबकुछ सरकारी बताने लग जाये !
स्मार्ट सिस्टम – जो पहले धमकाता है, फिर गायब हो जाता है !
और सबसे ज़्यादा स्मार्ट – भोला-भाला उपभोक्ता, जो चुपचाप सब सह लेता है !
अब ज़रा सोचिए, जब मोबाइल नंबर पोर्ट कराना हो तो OTP चाहिए, आधार चाहिए, माँ की शादी की तारीख चाहिए, और बिजली मीटर बदलने के लिए बस “सरकार का आदेश” ?
भाई, ये कौन सी सरकार है जो आदेश व्हाट्सएप से देती है और लागू घर के दरवाज़े पर आकर खुद करवाती है ?
असली चक्कर क्या है ?
क्या इसमें कमीशन का चक्कर है ? क्या पुराने मीटर ज्यादा सही चल रहे हैं और नए “स्मार्ट” मीटर ज्यादा पैसे काटते हैं ? या फिर ये नई किस्म की डिजिटल लूट है जिसमें बिजली की चोरी नहीं, बल्कि सीधे जेब ही निकाल ली जा रही है ?
सवाल ये भी है कि जब उपभोक्ता जब कह रहा है कि – “टेस्ट कर लो, फिर बदलो”, तो क्या दिक्कत है ? अगर मीटर वाकई स्मार्ट है, तो वो खुद ब खुद चिल्ला चिल्ला कर कहेगा, “भाई मुझे लगा लो, मैं ज्यादा ईमानदार हूं ।” लेकिन यहाँ मीटर भी चुप, अफसर भी चुप, और बिल – वो तो ख़ैर शुरू से ही चीख रहा है ।
जनता का रोल –
‘बेवकूफ मत बनो, टेस्ट करो…अब वक्त है कि जनता सिर्फ बिल न भरे, सवाल भी पूछे । कौन हैं ये लोग ? कहाँ से आते हैं ये लोग ? और किसका आदेश है ? और आदेश है तो टेस्टिंग से ऐतराज क्यों ? रिकॉर्ड कहाँ है, जो बताए कि ये नया मीटर उपभोक्ता हित में है !
इसलिए अब हर स्मार्ट मीटर से पहले, एक स्मार्ट कागज़ मांगो ।
वरना अगली बार “स्मार्ट घर” का मतलब होगा – बिना जानकारी के घुसपैठ और “मेरी मर्जी की तर्ज” पर मीटर ठोक देना।
आज बिजली विभाग इतना स्मार्ट हो गया है कि उपभोक्ता को निरा बेवकूफ समझने लगा है । पर याद रखिए, लोकतंत्र में सबसे स्मार्ट वो होता है जो सवाल पूछता है, न कि वो जो मीटर बदल कर मुस्कराता है । तो सवाल पूछिए – और जब तक जवाब न मिले, मीटर को वही रहने दीजिए…क्योंकि बिजली का बिल बढ़े या न बढ़े लेकिन आपकी जागरूकता ही आपका असली स्मार्ट मीटर है ।
अब ज्यादा नही लिखूँगा नहीं तो.. विकासरोधी और देशद्रोही बताते हुए कुछ लोग कहेंगे… कि मुझे पाकिस्तान चले जाना चाहिए !
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नीचे देखें वीडियो की सवाल पूछते ही.. कैसे चलते बने !