गजब की चुल्लकारिता चल रही है..देखिए, और अपना माथा पीट लीजिए !

गोरखपुर : आपको याद होगा कि आज दोपहर में ही मैंने एक सम्पादक के कार की फोटो अपने पेज पर डाली थी । उन सम्पादक महोदय के प्लेटफार्म का नाम था “हमलावर न्यूज़” !

दोपहर में दिखाई दिए इस “हमलावर न्यूज़” के सदमे से उबर भी नही पाया था कि तभी पत्रकारिता के नाम पर चुल्लकारिता मचाती हुई एक और वीडियो आकर गिर गई । वीडियो देखा तो लगा आजकल पत्रकारिता नहीं, ‘चुल्लकारिता’ चल रही है !
कुछ कथित ‘मीडिया योद्धाओं’ के पास न प्लेटफॉर्म है, और न ईमान… लेकिन खबर चलाने और पत्रकार कहलाने की ऐसी चुल्ल मची हुई है कि किसी ‘कादर भाई’ के यूट्यूब पेज पर किसी National 27 हाईवे का माइक आई डी घुसेड़ दिया गया । अब तो जानकार ही यह बताएंगे कि पत्रकारिता के लिहाज से ये हरकत टेक्निकली किस हद तक सही है ?

नौटंकी यहीं खत्म हो जाती तो ठीक थी.. लेकिन यहाँ तो खुद पत्रकार और पत्रकार का हमजोली पत्रकार ही यात्री बनकर लिंक एक्सप्रेस वे पर जनता का सुतियापा काटने लगे । मतलब स्क्रिप्ट भी अपनी, एक्टिंग भी अपनी, और हाईवे पर प्लांड की गई गाड़ी के साथ यात्री बना हमजोली पत्रकार भी अपना ! तो अब तालियां भी खुद ही बजा लो भाई ! सभी जानते हैं कि गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे यूपी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है । लेकिन इस बड़ी उपलब्धि को क्या इस तरह के निकृष्ट श्रेणी वाले नौटंकी भरे ड्रामे की जरूरत थी ? और वो भी ऐसी नौटंकी जिसे हर कोई पलक झपकते ही भाँप जाए !

इस तरह की ‘निर्लज्ज मीडिया’ को साष्टांग सलाम है, जो दर्शकों को मूर्ख बनाने के लिए दिन-रात रिहर्सल में जुटा रहता है ! आखिर लोग इतनी निर्लज्जता लाते कहाँ से है ? पत्रकारिता के नाम पर फर्जीवाड़ा तो ऐसे घूम रहा है कि हर्षद मेहता से लेकर तेलगी और नटवरलाल से लेकर चारा चोर तक सब पनाह माँग रहे हैं । वाह रे ‘माइक-वीर योद्धा’ ! न सोच अपनी, और न प्लेटफार्म अपना… फिर भी ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ का ठप्पा ऐसे मारेंगे जैसे फर्जी वोट !

इस ‘निर्लज्ज मीडिया-गिरी’ के लिए भले आपके दिल मे कोई इज्जत हो या न हो लेकिन मैं तो इनको सादर नमन करता हूँ ! बाकी नीचे वीडियो में आप खुद ही देख लीजिए कि हाथ मे माइक आईडी किस चालू ब्रांड की है.. और यूट्यूब पेज किसका है ? हाईवे पर गाड़ी किसकी है… और उस गाड़ी में यात्री बनकर बैठा हुआ कौन सा पत्रकार सबका सुतियापा काट रहा है ? वैसे गौर से सुनने लायक एक बात और भी है कि यात्री बने पत्रकार साहब (लो लैंड) कह रहे हैं या कुछ और…🤣🤣

By systemkasach

लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का खुद का चेहरा कितना विद्रूप और घिनौना है..ये आप इस पेज पर देख और समझ सकते हैं । एक ऐसा पेज, जो समाज को आईना दिखाने वाले "लोकतंत्र के चौथे स्तंभ" को ही आइना दिखाता है । दूसरों की फर्जी ख़बर छापने वाले यहाँ खुद ख़बर बन जाते हैं ।

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