मनबढई और थेथरई की आदत अक्सर भारी पड़ जाती है । अब अगर इन कोतवाल साहब की ग़लतियों पर इन्हें पहले ही सजा़ दे दी गयी होती, तो फ़र्रुख़ाबाद “कप्तान मैडम” को हाईकोर्ट रूम में बार बार बेहोश ना होना पड़ता और ना ही CRPF बुलानी पड़ती उन्हें और लार्ड शिप को सुरक्षित बचा कर बाहर निकालने के लिए

ये फ़र्रुख़ाबाद जिले के कायमगंज थाने के इंस्पेक्टर अनुराग मिश्रा हैं । इन्होंने ही सात दिन तक दो लोगों को “अवैध तरीक़े से हिरासत” में रखा और मामला तूल पकड़ गया । सरकार की घनघोर बेइज़्ज़ती कराने के बाद आज “सिंघम के अवतार” निलंबित कर दिए गए ।
इसी तरह का एक मामला गोरखपुर की फिजाओं में भी धीरे धीरे सुलग रहा है । लेकिन यहाँ का मामला पुलिस से नहीं बल्कि जिला अस्पताल के “कॉकस गैंग” से जुड़ा हुआ है । जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल के “SIC साहब” का रिटायरमेंट नवंबर 2025 में बताया जा रहा है…लेकिन यदि “ग्रह नक्षत्रों” की दृष्टि जरा सा भी वक्र हुई तो रिटायरमेंट के पहले ही SIC साहब हाइकोर्ट के कोपभाजन का शिकार बन सकते हैं….अन्यथा रिटायरमेंट के बाद बनना तो लगभग तय है ।
झूठी एफिडेविट के खेल में SIC साहब कब तक बचेंगे ?”
मामला गोरखपुर जिला महिला अस्पताल के “भ्रष्टाचारी बड़े भैया” के अनुचर फार्मासिस्ट अजय सिंह से जुड़ा बताया जा रहा है जो वर्तमान में जिला चिकित्सलाय गोरखपुर में तैनात हैं । विधिक विशेषज्ञ के अनुसार हाइकोर्ट में दाखिल पत्रावली में संलग्न प्रपत्रों की मानें तो… हाइकोर्ट द्वारा जारी आदेश के अनुपालन में आदेश का अनुपालन करने की बजाय..आदेश के अनुपालन सम्बंधित झूठी एफीडेविट लगाकर… हाइकोर्ट की डबल बेंच से अपने पक्ष में आदेश प्राप्त कर लिए जाने का बेहद संगीन मामला सामने आया है ।
कोर्ट की देहरी पर झूठ और अस्पताल की कुर्सी पर मौन !
संक्षिप्त तौर पर कहा जाए तो जिला अस्पताल के कर्मचारी हेमंत कुमार को लेकर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने आदेश दिया था कि हेमंत कुमार को उनकी पूर्ववर्ती जगह का चार्ज हस्तांतरित कर दिया जाए । इस आदेश के बाद कुर्सी के मोह से चिपके फार्मासिस्ट अजय सिंह बिना किसी सूचना के छुट्टी पर बीमारी का बहाना बनाकर चले गए । और बीमारी की हालत में अजय सिंह ने हाइकोर्ट की डबल बेंच में हाइकोर्ट के सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए स्पेशल अपील फ़ाइल कर दी । दूसरी तरफ बिना बताए छुट्टी पर चले जाने का पता चलते ही जिला अस्पताल गोरखपुर के SIC साहब ने अजय सिंह को लगभग 10 दिनों के अंदर तीन पत्र लिखते हुए कारण स्पष्ट करने को कहा और साथ मे लिखा कि आपकी अनुपस्थिति के कारण इलाहाबाद हाइकोर्ट के आदेश का अनुपालन नही हो पा रहा है ।दूसरी तरफ 10 तारीख को लिखे गए आखिरी पत्र के चार दिन पहले SIC साहब ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के समक्ष झूठी एफीडेविट फ़ाइल करवा दिया । जिसका आशय यह था कि हेमंत कुमार के पक्ष में हाइकोर्ट द्वारा जारी आदेश का अनुपालन कर दिया गया है । जबकि 10 तारीख तक न तो इलाहाबाद हाइकोर्ट के आदेश का अनुपालन हुआ था….न ही अजय सिंह अपनी बिन बताई छुट्टी से वापस अपने काम पर लौट थे..और न ही चार्ज हस्तांतरित करने की प्रक्रिया पूर्ण की गई थी ।
इस मामले को देख रहे एक विधिक विशेषज्ञ बताते हैं कि झूठे शपथ पत्र का सहारा लेकर हाइकोर्ट की डबल बेंच से स्पेशल अपील के जरिये अपने पक्ष में आदेश फार्मासिस्ट अजय सिंह द्वारा प्राप्त करने के बाद अजय सिंह वापस अपने काम पर लौटे । लेकिन इस बीच SIC साहब द्वारा न तो फार्मासिस्ट अजय सिंह के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई और न ही कोई प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज की गई । उल्टा “कोढ़ में खुजली” का काम SIC साहब ने यह कर दिया कि… डबल बेंच का आदेश आते ही SIC साहब ने पत्र जारी करते हुए लिखा कि फार्मासिस्ट अजय सिंह हाइकोर्ट के डबल बेंच के आदेश के क्रम में अपने पूर्ववर्ती चार्ज पर बने रहेंगे” !
सिंघम से SIC तक मनबढई की कीमत एक जैसी !”
अब साहब के इस पत्र ने यह साबित कर दिया कि हाइकोर्ट के पूर्ववर्ती आदेश के बाद भी हेमंत कुमार को कार्यभार नही सौंपा गया था और SIC साहब द्वारा हाइकोर्ट के समक्ष लगाई गई एफीडेविट झूठी थी । स्थितियां बता रही हैं कि इस मामले में फार्मासिस्ट अजय सिंह समेत SIC साहब दोनो “हाइकोर्ट के कोप भाजन” का शिकार बन सकते हैं । जिला अस्पताल की व्यवस्था पर काबिज बने रहने का मंसूबा पाले “भ्रष्टाचारी बड़े भैया” तो पहले ही “ठाकुर साहब” को ले डूबे हैं । शायद अब नंबर फार्मासिस्ट अजय सिंह और SIC साहब का है । चर्चा है कि SIC साहब तो जिला अस्पताल के “कॉकस भरे माहौल” से बुरी तरह सहमे हुए किसी तरह अपना दिन काट रहे थे…. लेकिन जाते जाते गले मे “सर्पफन्दा” पड़ ही गया । अब अगर इतना ही डर लगता है SIC साहब…तो आपको यहाँ का कार्यभार ग्रहण ही नही करना चाहिए था ? क्या आपने ये प्रसिद्ध पंक्तियाँ नही सुनी SIC साहब कि…(अधर्म पर मौन बनकर…. जो मात्र निहारे जाते हैं !
भीष्म हो, द्रोण हो, या हो कर्ण….सब मारे जाते हैं !)

