राजस्थान : राजस्थान के भीलवाड़ा में एक नया वैज्ञानिक प्रयोग देखने को मिला है..लेकिन किसी लैब में नहीं…बल्कि पेट्रोल पंप पर ! यहाँ (न्यूटन का तीसरा नियम) “प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है”…. पूरी शिद्दत से लागू हुआ ।
घटना कुछ यूँ है कि “SDM साहब”अपनी गाड़ी में CNG भरवाने पहुंचे थे । लेकिन पंपकर्मी पहले से ही दूसरी गाड़ी में गैस भर रहा था। बस, फिर क्या था ? साहब की संवैधानिक शक्ति और ईंधन की कमी, दोनों फट पड़ीं… (सीधे थप्पड़ के रूप में) । और उसके तुरंत बाद, जैसा कि “न्यूटन” ने सैकड़ों साल पहले भविष्यवाणी की थी ! क्रिया के ठीक विपरीत दिशा से एक प्रतिक्रिया आई और “SDM साहब” थपड़िया दिए गए । मतलब, कह सकते हैं कि, पंपकर्मी ने भी SDM साहब को “वैज्ञानिक संतुलन” प्रदान कर दिया ।
ब्रह्मास्त्र का प्रयोग…”पत्नी की गरिमा” रख दी गिरवी !
सीसीटीवी फुटेज में सब साफ है ! पहले साहब मारते हैं…फिर दूसरा व्यक्ति आता हैं…फिर साहब उसे भी थप्पड़ लगाते हैं… और उसके बाद “न्यूटन के तीसरे नियम” का “लाइव डेमोंस्ट्रेशन” हो जाता है । लेकिन असली ड्रामा तो इसके बाद शुरू हुआ ! न्यूटन का नियम तो ख़त्म हो गया लेकिन “कानून का ब्रह्मास्त्र” सक्रिय हो गया । “SDM साहब” की पत्नी की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई कि पंपकर्मी ने “गंदी नजर” डाली और “क्या माल लग रही हो” जैसा भद्दा तंज कसा !

“न्यूटन के तीसरे” नियम में घुसी पुलिसिया FIR….
अब यह बात भी सोचने योग्य है….क्योंकि वीडियो में साफ दिख रहा है कि कौन किसे मार रहा है ? फिर ये “तबराक मारने” का केस अचानक “आंख मारने” के केस में कैसे तब्दील हो गया ? लगता है साहब ने न्याय को भी अपने तबादले की फाइल समझ लिया है…जो जैसे चाहो वैसे निपटा दो ! वाकई अफसोस की बात है कि “इज्जत बचाने” के नाम पर साहब ने पहले खुद की गरिमा बेची, और अब बचने के लिए “पत्नी की गरिमा” को ढाल बना लिया । क्या ऐसे भी होते हैं “सिविल सर्वेंट” ?
“अंधे कानून” ने दिहाड़ियों को पकड़ा..”सिस्टम खामोश”
अब साहब से यह मत पूछ लीजिएगा कि यह “गरिमा” कौन है । अब जैसा कि हमारे सिस्टम की पुरानी परंपरा है कि थप्पड़ किसने मारा, ये नहीं देखा जाएगा ! बल्कि किसके पास “पद” है, वही तय करेगा कि दोषी कौन है ? परिणामस्वरूप, अब रोज़ चार–पाँच सौ की दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों पर मुकदमा दर्ज हो गया है ! बेचारे पेट्रोल पंप कर्मी को पहले “SDM साहब” ने कूटा, अब पुलिस पकड़कर कूटेगी..क्योंकि न्याय की गाड़ी भी तो “सिस्टम के कचड़े” से तैयार हुए “ईंधन” से चल रही है !
थप्पड़ कांड ने “SDM साहब” के इतिहास में झाँका….
बात यहीं खत्म नहीं होती, क्योंकि पता चला है कि ये वही “SDM साहब” हैं जिन्होंने अपनी पहली पत्नी पूनम झाखोदिया (लेक्चरर) और दो बच्चों को बेसहारा छोड़ दिया है । “पूनम” ने साहब का साथ तब दिया जब “SDM साहब” बेरोजगार थे । पर जैसे ही कुर्सी मिली, नई कहानी, नया अध्याय और नई पत्नी “दीपिका व्यास” ! पहली पत्नी ने “कलेक्टर साहब” से भी शिकायत की थी, मगर उन्होंने इसे “पर्सनल मैटर” कहकर फाइल को ठंडे बस्ते में भेज दिया । शायद उन्हें भी डर था कि कहीं “क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया” उनके ऊपर न आ जाए !
निष्कर्ष :-
बदलते परिदृश्य में “न्यूटन का नियम” सिर्फ किताबों में नहीं, बल्कि रोजमर्रा के जीवन मे भी प्रासंगिक हो चला है । लेकिन ध्यान रखना यह भी जरूरी है कि पहले क्रिया–प्रतिक्रिया से विज्ञान जन्म लेता था…और अब क्रिया–प्रतिक्रिया से एफआईआर जन्म ले रही है ।
थप्पड़ कांड का वीडियो और SDM साहब की भटकती पत्नी और बच्चों का वीडियो देखने के नीचे क्लिक करें …

