“अब तो सभी को सभी से खतरा है”- प्रयागराज में पत्रकार की चाकुओं से गोदकर हत्या !

प्रयागराज में चाकुओं से गोदकर एक और पत्रकार की पत्रकारिता का किस्सा हमेशा के लिए समाप्त कर दिया गया ।

महान शायर “जॉन एलिया” एकदम सटीक लिख गए हैं कि….

“अब नहीं है कोई बात खतरे की…
अब तो सभी को सभी से खतरा है !”

पिछले कुछ महीनों में यूपी से पत्रकारों की निर्मम हत्या के आंकड़े चौकाने वाले हैं ।

◼️रमन कश्यप , लखीमपुर (यूपी) अक्टूबर 2021

◼️दिलीप सैनी, फतेहपुर (यूपी) अक्टूबर 2024

◼️आशुतोष श्रीवास्तव, जौनपुर (यूपी) मई 2024

◼️शुभम शुक्ला, उन्नाव (यूपी) जनवरी 2025

◼️राघवेंद्र बाजपेई सीतापुर, (यूपी) मार्च 2025

◼️और अब – लक्ष्मी नारायण सिंह ,प्रयागराज (यूपी)

अन्य प्रदेशों की बात करें तो……

◼️बिहार में शिवशंकर झा ,की हत्या जून 2024

◼️छत्तीसगढ़ में मुकेश चंद्राकर, की हत्या जनवरी 2025

◼️महाराष्ट्र में शशिकान्त वारिसे, की हत्या फरवरी 2023

◼️हरियाणा में धर्मेंद्र सिंह चौहान, की हत्या मई 2025

ये आंकड़े (IFJ/CPJ/UNESCO) के आधार पर हैँ । वास्तविकता में तो छोटे मोटे तमाम पत्रकार ऐसे निपटा दिए गए होंगे जिन्हें आंकड़ों में कोई जगह हीं नही मिली । इसके अलावा पत्रकारों पर हमले और गंभीर रूप से घायल कर देने के मामलों की फेरहिस्त भी बड़ी लंबी है ।

◼️ताजा घटनाक्रम….”गोरखपुर”

औरों की स्थिति को मैं इसलिए बेहतर तरीके से समझ सकता हूँ क्योंकि, मुझ पर खुद ही अब तक तीन बार जानलेवा हमले हो चुके है… जिनकी रिपोर्ट करने से कोई फायदा न होता देख.. मैंने अब ऐसे हमलों से खुद को डिफेंड करना और उसके इंतजामात रखना सीख लिया है । अभी इसी महीने में ही, पिछले 25 साल से भ्रष्टाचार की इबारत लिख रहा “महिला जिला चिकित्सालय” गोरखपुर का एक “पियक्कड़ टपोड़ी” असलहों से लैश होकर नशे में धुत्त अपने गुर्गों के साथ “होटल विवेक” में काण्ड करने पहुँच गया था । अब उस दिन “काण्ड” हमारे साथ होता, या काण्ड करने आये उन टपोड़ियों के साथ…. ये तो वक्त बताता ! लेकिन वहाँ मौजूद एक प्रबुद्ध बुद्धिजीवी ने माहौल और परिणाम को भांपते हुए अपना आक्रामक रूख अख्तियार कर लिया और “मत्स्य काण्ड” होते होते टल गया । इस “काण्ड” की प्लांनिग के पीछे कारण यह था कि “फर्जी मुकदमा” लिखवाने के बाद भी उस “सरकारी पियक्कड़” को अपने किये गए “काले कर्मकांडों” के इतिहास से कोई राहत नही मिल पा रही थी…और उसे रिटायरमेंट से पहले ही अपने खिलाफ शासन से बड़ी कार्यवाही का भय सताए जा रहा है । हालांकि इस “काण्ड प्लानिंग” की रिपोर्ट को भी इस मामले में भ्रष्टाचार की जाँच कर रहे PMO को औपचारिकता वश भेजा जाना आवश्यक था… सो कर भी दिया । लेकिन सबसे ज्यादा हैरत, की बात तो यह है कि इन टपोड़ियों को हमारी लोकेशन देने वाला “मुखबिर” भी एक पत्रकार ही था । सम्मेलन में हमारे मौजूद होने की “सटीक मुखबिरी” के लिए बकायदे हमारी फ़ोटो खींचकर हमलावरों के व्हाट्सएप्प पर भेजा गया । हमारी फ़ोटो खींचते वक्त भी हमलावरों के “मुखबिर पत्रकार” के हाथ कुछ यूँ काँप रहे थे कि जल्दीबाजी में खींची गई हमारी धुंधली फोटो ही हमलावरों को भेज दी गयी ।

हमारे “धनेश बाबू” तो उस मुखबिर को भलीभांति जानते भी हैं । अब “जयचंदों” और “मीरजाफरों” से ये देश पहले भी अछूता नहीं था और आज भी नहीं है । क्यों, है कि नहीं.. “धनेश बाबू” ?

◼️पत्रकारों को अब करने होंगे खुद इंतेजामात !

समूचा ब्रह्मांड इस सत्यता से वाकिफ़ है कि पत्रकारिता की आड़ में दलाली खाने वालों की न कभी हत्याएँ होती हैं….न सामान्य स्थितियों में कभी इनपर मुकदमे लिखे जाते हैं… न ही इनका विरोध होता है…और न ही इन कायर और नपुंसकों पर कभी हमले होते हैं । लेकिन जिन्हें सच लिखने और दिखाने का बुखार चढ़ा है उन्हें अब खुद के लिए कुछ इंतेजामात तो करने होंगे ! इसलिए सच्ची पत्रकारिता का बुखार पाले पत्रकार बिरादरी के चंद “जंगजुओं” को मेरी यही सलाह है कि….

◼️अचानक होने वाले  हमलों से बचाव का घातक “सेल्फ डिफेंस” (जिसमे हथियार शामिल नहीं है ) साथ मे तैयार लेकर चलें◼️चौतरफा “सतर्क दृष्टि” बनाएं रखें क्योंकि कौव्वे और कुत्ते ज्यादातर पीछे से ही काटते हैं◼️सड़क पर चलते वक्त अपनी बॉडी के चारों एंगल में बैटरी ऑपरेटेड ऐसे हिडन कैमरे लगाकर रखें जो हर वीडियो और फ़ोटो को दो दो सेकंड के मोड पर आपके FTP पर ऑटोमेटिक मोड में ट्रांसफर करता रहे◼️अपने डेटाबेस और जानकारियां अपनी पत्नी को भी न बताएं और ऐसी जगह रखें जो आपके मोक्ष प्राप्त कर जाने के बाद भी अचानक से प्रकट और पब्लिक हो सके◼️जब सच्ची पत्रकारिता का भूत सवार है तो रुपये की किल्लत हमेशा बनी रहेगी इसलिए पत्रकारिता को कमाई का जरिया बनाने से बेहतर है कि रोजगार का कोई अन्य विकल्प तलाशें…और ऐसा जुगाड़ सेट करें कि हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक बेअन्दाज महारथियों को घसीटने में आपको पैसे खर्च न करने पड़ें◼️हर 15 मिनट के अंतराल पर किसी न किसी कैमरे से होकर अवश्य गुजरें◼️किसी भी महफ़िल, पार्टी, जलसे, में न जाएं…यहाँ तक कि अपने सगे संबंधियों के जलसों में भी शरीक न हों◼️किसी का दिया न खाएं और किसी के साथ बैठकर न पिएं◼️जब समूह में भोजन चल रहा हो तो थोड़ा सब्र करें और जब बाकी लोग दो चार निवाला गटक लें तभी भोजन को हाथ लगाएं◼️घर परिवार का मोह त्याग दें और घर पे रहने की आदत न डालें◼️हमेशा अज्ञातवास में विचरण करें◼️आपके घर वालों को भी पता न हो कि आप किस वक्त कब और कहाँ हैं ? ◼️ऐसी परिस्थिति तैयार करें कि आप जब भी, जिससे भी मिलना चाहें…उससे मिल लें…लेकिन यदि कोई आपसे मिलना चाहे तो बगैर आपकी मर्जी के मिल न सके◼️कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, कॉल एनालिटिक्स, सर्विलांस, मेसेज डिकोडर, कैमरा इंस्टालेशन, हिडन कैमरा ऑपरेटिंग सिस्टम से लेकर लॉ एजुकेशन की गूढ़ जानकारी निरंतर हासिल करते रहें◼️लिखने पढ़ने की आदत डालें और रोज किसी न किसी विषय पर आठ दस पन्ने जरूर काले करें◼️सात कदम की दूरी “चुगलखोर” से…सत्रह कदम की दूरी “लतखोर” से और सत्ताईस कदम की दूरी “हरामखोर” से अवश्य बनाकर चलें◼️चोरों को नजरअंदाज करें, लेकिन सीनाज़ोरों को कत्तई नहीं◼️जो गलती मान ले उसे और उसके किये को भूल जाएं लेकिन जो गलत होने के बाद भी आँखे तरेरे..उसे न भूलें, और न उसे कुछ भूलने दें◼️साथ ही घरवालों को सख्त हिदायत दें कि आपकी मौत के बाद भी आपकी “अंत्येष्टि” न की जाए ताकि, बचा खुचा हिसाब आपकी “प्रेतात्मा” को चुकता करने का भरपूर मौका मिले ।

उपरोक्त दी गयी बातों को मजाक में बिल्कुल भी न लें,और यदि सही मायनों में पत्रकारिता करनी है तो बड़ी शिद्दत से इसे अपने जीवन मे लागू करें ! ऐसा इसलिए, क्योंकि पिछले तीन सालों से में खुद इस पर चलता चला आया हूँ । वजह ये कि, “पत्रकारिता” और “हिसाब चुकता” के फार्मूले ने मेरी जिंदगी बदल दी है । हमेशा याद रखें कि, इज्जत, जिल्लत और मौत की लगाम सिर्फ परमेश्वर के हाथ मे है..किसी गुंडे, भ्रष्टाचारी, मवाली या पियक्कड़ के हाथ मे नहीं !

By systemkasach

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