“पत्रकारिता” की वह कीमत… जो मैंने चुकाई…और वो खुलासे, जिन्होंने सिस्टम की नींद उड़ाई (2022 से 2025 तक) !
पत्रकारिता में “उत्पीड़न और संघर्ष” के तीन साल आज पूरे हुए । पत्रकारिता का लर्नर बनकर सन 2018 में मैंने इस क्षेत्र में कदम रखा । 2022 से 2023 तक मेरी कलम ने तीन वर्षों में ऐसे कई मुद्दे उठाए, जो आमतौर पर दबा दिए जाते हैं। जिनमें प्रमुख तौर पर शामिल रहे—
,▪️फ़र्ज़ी अस्पतालों और झोलाछाप डॉक्टरों के नेटवर्क
▪️एम्बुलेंस तथा प्रायोजित चिकित्सा माफिया पर व्यापक रिपोर्टिंग
▪️भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की मिलीभगत पर आधारित तथ्य
▪️तहसील, नगर निगम, जिला अस्पताल और थाने के चक्कर में उलझी व्यवस्था का बख़िया उधेड़ना
▪️कचहरी में संचालित फर्जी मुकदमेबाज़ी और ब्लैकमेलिंग गैंग का पर्दाफाश
▪️कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर लूट की जांच
▪️मिलावटखोरी, पशु-तस्करी और अवैध बूचड़खानों पर पड़ताल
▪️सरकारी डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस और ड्रग माफिया के गठजोड़ की खबरें
▪️लिंग परीक्षण जैसे संगीन अपराधों पर ऑपरेशन्स
▪️भूमाफिया, बिजली विभाग, विकास प्राधिकरण और ब्लॉकस्तरीय भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग
▪️मीडिया में मौजूद दलाल संस्कृति का बेनक़ाब करना
▪️न्यायिक प्रणाली में चल रही अवैध वसूली और कमीशनबाज़ी का खुलासा
▪️एक भ्रष्ट अहंकारी और पक्षपाती पुलिस अधिकारी पर रिपोर्ट
▪️प्राइवेट विद्यालयों की मनमानी फ़ीस व्यवस्था का विरोध
▪️मीडिया के प्रायोजित डॉक्टर एस सी वर्मा की डिग्री का खुलासा
▪️जनार्दन प्रसाद सर्जन का डिग्री रैकेट का खुलासा
▪️जिला अस्पताल और कोतवाली थाने की मिलीभगत का खुलासा
▪️कचहरी से एक्टिव फर्जी बलात्कार का मामला दर्ज कराने वाले गैंग का खुलासा
▪️अंडरवर्ल्ड डॉन खान मुबारक गैंग पर रिपोर्ट
▪️हरिशंकर तिवारी और राजनीति के अपराधीकरण पर रिपोर्ट
▪️दूधियों की मिलावट गैंग का खुलासा
▪️आरटीआई माफिया का खुलासा
▪️सरकारी डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस का खुलासा
▪️ड्रग माफियाओं का खुलासा
▪️अवैध बूचड़खानों का खुलासा
▪️Igrs व्यवस्था के झूठ का खुलासा
▪️फर्जी अस्पतालों से सरकारी वसूली का खुलासा
▪️सिविल कोर्ट में बहुमंजिला इमारत में हुई कमीशनबाजी का खुलासा…..! इन खुलासों ने केवल खबरें नहीं बनाईं , बल्कि सिस्टम के भीतर छिपे अंधेरे को बाहर लाकर खड़ा कर दिया ।
परिणाम — संघर्ष की आग में तपता जीवन और इनाम !
▪️2022 से 2025 तक 6 मुकदमे, हिस्ट्रीशीटर और गैंगेस्टर एक्ट की कार्यवाही
▪️बिना ठोस सबूत — संदिग्ध/अवांछित तत्वों के बयान पर चार्जशीट
▪️हादसा कर अपहरण की कोशिश और फिर गिरफ्तारी
▪️3 महीने बिजली कट, घर गिराने की नोटिस
▪️तीन बार जानलेवा हमले, लगातार निगरानी और साजिशें…
परिवार पर गहरा घाव…
▪️जीवनसाथी “ब्रेन TB” और “ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर” की गिरफ्त में
▪️खुद, “ब्रेन स्ट्रोक” और “ड्यूल पर्सनालिटी डिसऑर्डर” की गिरफ्त में
यह सिर्फ़ पेशेवर युद्ध नहीं था बल्कि पूरे परिवार पर हमले की रणनीति थी । इसका कारण सत्ता नही बल्कि “अहंकार” से लबालब भरे एक पुलिस “अधिकारी” की सनक थी ।
न्याय की लड़ाई और अदालतों की सख़्त दख़ल !
▪️सभी मुकदमों पर हाइकोर्ट से स्टे तथा गैंगेस्टर बनाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक…..
▪️हाइकोर्ट की फटकार के बाद बिजली विभाग के बड़े अधिकारियों पर कार्यवाही..
▪️उत्तरप्रदेश बिजली विभाग के “एमडी” को हाइकोर्ट में मांगनी पड़ी माफी !
▪️विकास प्राधिकरण को फटकार…बड़े एक्वायरी की वार्निंग..फ़ाइल तलब !
▪️अमानवीय गिरफ्तारी पर मानवाधिकार द्वारा कई पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही के आदेश !
▪️तत्कालीन इंस्पेक्टर गुलरिहा के खिलाफ कोर्ट द्वारा कार्यवाही कर आदेश !
▪️तत्कालीन एसपी सिटी के खिलाफ शासन से जाँच के आदेश !▪️2022 से लेकर 2025 तक के सभी मामलों में संलिप्त सभी लोकसेवकों पत्रकारों और अन्य लोगों की जाँच अब “सुप्रीम कोर्ट” की डैश पर…
मेरी खबरें उनकी “व्यवस्था” पर चोट थीं, इसलिए मुझे “अपराधी” लिखा गया । सही मायनों में यह सिर्फ “पत्रकारिता” नहीं बल्कि उन मुट्ठीभर लोगों से “युद्ध” है…जो चोर के साथ “सीनाज़ोर” भी हैं
समाज के प्रति “प्रतिबद्धता” को लेकर मुहिम अभी जारी..
▪️संस्थाओं से मदद लेकर लगभग 250 बेजुबानों की सहायता, भोजन एवं वैक्सीनेशन
▪️70 से अधिक असहाय पीड़ितों को निःशुल्क विधिक सहयोग
▪️डेढ़ दर्जन से अधिक भ्रष्ट लोकसेवकों तथा 17 दलाल पत्रकारों और संपादकों के विरुद्ध न्यायालय में मुकदमा
▪️स्वतंत्र मीडिया प्लेटफ़ॉर्म “सिस्टम वेबसाइट मीडिया” की स्थापना
▪️”भड़ास फ़ॉर मीडिया” जैसे साहसिक पत्रकारिता स्तंभ के सहयोग के लिए एक कार्ययोजना का गठन
मेरा संकल्प….
मेरा कोई “दुश्मन नहीं”…मेरी लड़ाई केवल “भ्रष्टाचार” से है । शायद इसीलिए बैठकर बात करने वालों को कभी मैंने निराश नही किया और “अहंकार” कभी मुझसे बर्दाश्त नही हुआ ! लेकिन जब पत्रकारिता को मेरे खिलाफ़ “साज़िशों” का आधार बना दिया गया, तो यह जंग लाज़िमी हो गई । इसलिए सोचिए, समझिए, विचार कीजिये और फिर “पत्रकारिता” कीजिये । हाँ, “भ्रष्ट व्यवस्था” के प्रति घृणा मेरे मन में जरूर है..और इसलिए मैं कहता हूँ कि पत्रकारिता में मैं नही आया बल्कि यह “व्यवस्था” और इस “व्यवस्था के जनक” मुझे खींच लाये हैं । जब इस बेदाग जीवन को एक भ्रष्ट वर्दीधारी ने मात्र 50 हजार रुपयों के लिए दागदार बनाते हुए भविष्य की लंका लगा दी…तब “भ्रष्ट व्यवस्था” के प्रति कुंठा “मन मस्तिष्क” में घर कर गयी…अन्यथा, आज मैं भी अपने देश की “रक्षा सेवाओं” में “क्लास वन अधिकारी” होता !

